बांके बिहारी का खजाना निकला खाली! नहीं मिले सोने-चांदी के कलश

विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी के मंदिर में कोई खजाना नहीं मिलने से पूरे मथुरा के लोगों का कौतूहल और अधिक बढ़ गया है। पूरे देश के लोगों का यह मानना था कि बांके बिहारी के मंदिर में सोने-चांदी से भरे कलश मिलेगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। फिलहाल खजाने की खोज और आगे की कार्रवाई को रोका गया है। जिसे दिवाली बाद फिर से शुरू किया जाएगा।

धनतेरस पर खोला था खजाना
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित हाई पावर कमेटी के आदेश के बाद धनतेरस के दिन वृंदावन के ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर में उस कमरे का ताला खोल दिया गया, जो बीते 54 वर्षों से ‘रहस्य’के पर्दे में बंद था. इस कमरे को लेकर कई दावे किए जा रहे थे. कोई कहता था कि अंदर बेशकीमती रत्न हैं, तो किसी का कहना था कि वहां पुरानी मूर्तियां रखी हुई हैं. आखिरकार, आधी सदी के बाद, जब उस कमरे का ताला खुला, तो जो दृश्य सामने आया, उसने सबको चौंका दिया.

सांपों ने बढ़ा दिया था कौतुहल
एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार पूरे खजाने को लेकर जो कौतुहल था वह तब बढ़ गया जब खजाने के दरवाजे पर पहले दीपक जलाया गया पूजा अर्चना की गई उसके बाद दरवाजा खोला गया तो अंदर का नजारा किसी पुराने खंडहर की तरह था. धूल, अंधेरा, दीवारों पर जमी सीलन की गंध और कमरे के कोने में भरा पानी. जैसे ही टीम सफाई करने के लिए कमरे के अंदर दाखिल हुई, अचानक एक हलचल हुई. वहां दो छोटे सांप रेंग रहे थे. स्थिति को संभालने के लिए तुरंत वन विभाग को बुलाया गया, जिन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद सांपों को सुरक्षित बाहर निकाला. यह प्रक्रिया करीब तीन घंटे तक चलती रही लेकिन यहां कोई खजाना नहीं था, जैसा लोग अब तक सोचते आए थे. यहां सोने-चांदी के सिक्के और गहने नहीं, बल्कि कुछ चांदी के पात्र और बर्तन मिले.

सोने-चांदी और हीरे जेवरात होने का दावा
कमरे में सोने-चांदी और हीरे जेवरात समेत तमाम मूल्यवान वस्तुएं हो सकती हैं. इसे बांके बिहारी उच्च अधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति के आदेश के बाद खोला जा रहा है. इसके लिए एक समिति में मंदिर प्रबंधन के अलावा सिविल जज, ऑडिटर और पुलिस अधिकारी शामिल हैं. बांके बिहारी का खजाना खोलने का फैसला 29 सितंबर को किया गया था. मथुरा के डीएम चंद्र प्रकाश सिंह और ने समिति के सचिव ने 17 अक्टूबर को खजाना खोलने का आदेश जारी किया था.

बांके बिहारी मंदिर का खजाना तोशखाना में
दावा किया गया है कि बांके बिहारी मंदिर का खजाना तोशखाना में रखा गया है. ये तोशखाना बांके बिहारी मंदिर के सिंहासन के नीचे है. इतिहासकारों का कहना है कि 1864 में वैष्णव परंपरा के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण भी बनवाया गया था. गर्भगृह बांके बिहारी के सिंहासन के ठीक नीचे तहखाने में तोशखाना का निर्माण कराया गया था. दावा किया जाता है कि जब पिछली बार खजाना खोला गया था, तब कई मुखों वाले चांदी के शेषनाग दिखे थे. सोने के कलश और नवरत्न भी थे.

कई सवालों को जन्म दे रहा खजाने का खाली होना
बांके बिहारी का खजाना खाली निकला इसे लेकर अब कई सवाल लोगों के के जेहन में घुम रहे है। जो दांवे थे क्या वह खोखले थे या हकीकत कुछ ओर है। कुछ ऐसा हुआ है जहां तक अब हम अभी तक नहीं पहुंच पाए है। इसके साथ ही खजाने से एक सीढ़ी नीचे की ओर जाते हुए भी दिखाई दी है जिस पर अभी जांच टीम नहीं पहुंची है। फिलहाल टीम ने दो दिन में कोई मंहगे जेवरात नहीं पाए है।
यदि खजाने के रूप में इसे बंद किया गया था तो खजाना कहां गया। खजाना नहीं था तो यहां पर सांप का मिलना भी रहस्यमयी है क्योकि यह मान्यता है कि जहां सांप की रखवाली होती है वहां पर खजाना अवश्य होता है। क्या खजाने का नहीं मिलना कोई रहस्यमयी घटना है जिसको समझना आम मानव के बस में  नही है खैर अब पूरे देश में खजाने को लेकर जो चर्ची छिड़ गई वह कहां तक पहुंचती है यह आगामी समय में ही सामने आएंगा।