इंदौर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को नगर निगम की रेशम केंद्र स्थित सुसज्जित गौशाला में पहुंचकर परंपरागत विधि से गोवर्धन पर्वत और गौमाता का पूजन किया। इसके पश्चात कहा कि “हमारी सनातन परंपरा ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत पर आधारित है। भारत की संस्कृति में जहां भी आश्रम या ग्राम्य जीवन है, वहां गौवंश का संरक्षण और सेवा अनिवार्य मानी गई है। हमें अपनी ग्रामीण संस्कृति और परंपराओं को कभी नहीं भूलना चाहिए।”
प्राकृतिक खेती का पंजीयन करने पर मिलेगा प्रोत्साहन
उन्होंने कहा कि “आज कृषि में केमिकल के बढ़ते उपयोग को देखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो किसान प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन कराएगा, उसे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के अलावा भी प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रदेश के सभी नगर निगम, नगर परिषद और पिंजरा पोल संस्थाएं मिलकर गौशालाओं का संचालन करेंगी, ताकि गौ सेवा और संरक्षण को व्यापक रूप मिले।”
2380 गौवंश की देखरेख
गौशाला के संरक्षण एवं संवर्धन कार्यों का संचालन कर रहे स्वामी अच्युतानंद ने बताया कि रेशम केंद्र गौशाला में जनभागीदारी से साढ़े तीन करोड़ रुपये के विकास कार्य संपन्न हुए हैं। यहां 630 से बढ़कर 2380 गौवंश की देखरेख की जा रही है। गौशाला में तीन बड़े शेड, गौ आईसीयू, तथा प्रतिदिन 200 लीटर दूध वितरण की व्यवस्था की गई है।
गौ सेवा को बनाया जनआंदोलन
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि “अगस्त 2022 में जब यहां पहली बार आए थे, तब इसकी स्थिति भिन्न थी। आज यह गौशाला प्रदेश की सबसे सुसज्जित गौशालाओं में से एक है। स्वामी जी की निष्ठा, जनसहयोग और निगम के प्रयासों से यहां न केवल गौ संवर्धन बल्कि गौ संरक्षण का भी उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत हुआ है। गौ विकास ही भविष्य के विकास की आधारशिला है।” मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि “प्रदेश में गौशालाओं की दशा और दिशा बदलने का कार्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में गौ सेवा को जनआंदोलन का रूप दिया जा रहा है।
गौ सेवा कर मनाएं जन्मदिन
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि “गौ सेवा को जीवन का हिस्सा बनाएं। अपने बच्चों का जन्मदिन केक काटकर या मोमबत्ती बुझाकर नहीं, बल्कि गौ सेवा कर मनाएं। विधायकों से अनुरोध है कि वे अपनी निधि से पाँच लाख और सांसद अपनी निधि से दस लाख रुपए गौशाला सेवा में दें। गौ सेवा सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है।” पूजन के बाद मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने गौमाता को चारा खिलाया और गौशाला में स्वच्छता, अनुशासन और सेवा भावना का वातावरण देखने को मिला, जो इंदौर नगर निगम के सतत प्रयासों और जनभागीदारी की मिसाल बना हुआ है।