अगले 22 घंटे में कहर बरपाएगा चक्रवाती तूफान मोथा, 30 जिलों में होगी झमाझम बारिश, तेज हवाओं का अलर्ट जारी

मध्यप्रदेश में सर्दी धीरे-धीरे दस्तक दे ही रही थी कि अचानक हुई बारिश ने ठंड के कदमों को थाम दिया है। तापमान में गिरावट तो आई, लेकिन इस अनचाही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कई जिलों में कटाई के लिए तैयार या पहले से कट चुकी फसलें बारिश की चपेट में आ गई हैं। खेतों में पानी भरने से फसलों को नुकसान पहुंचा है और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में चक्रवाती हवाओं के कारण प्रदेश में बारिश और ठंड, दोनों का असर और गहराएगा।

चक्रवाती तूफान ‘मोथा’ बना परेशानी का कारण, पूरे सप्ताह रहेगा असर

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में अरब सागर के ऊपर एक डीप डिप्रेशन सक्रिय है, जबकि बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान मोथा के बनने की संभावना जताई जा रही है। इन दोनों सिस्टमों की वजह से वातावरण में लगातार नमी बनी हुई है, जिसके चलते मध्यप्रदेश में बारिश हो रही है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर सहित कई जिलों में रुक-रुककर बारिश दर्ज की गई। इंदौर में शनिवार रात से आसमान बादलों से घिरा रहा और रविवार सुबह झमाझम बारिश हुई। दोपहर तक रिमझिम फुहारें पड़ती रहीं, जिससे शहर में ठंडक बढ़ गई। 24 घंटे में करीब 11 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह दौर अभी कुछ दिनों तक जारी रहेगा।

यह मावठा नहीं, बल्कि पोस्ट-मानसून की बरसात है

कृषि विशेषज्ञ डॉ. एच. डी. वर्मा के अनुसार, फिलहाल जो बारिश हो रही है, उसे मावठा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि मावठा सर्दियों के मध्य में होता है। यह वर्षा वास्तव में पोस्ट-मानसून सीजन का हिस्सा है। डॉ. वर्मा बताते हैं कि इस बारिश के फायदे और नुकसान दोनों हैं। एक ओर यह गेहूं, चना और मसूर जैसी रबी फसलों के लिए खेत तैयार करने में सहायक है, क्योंकि इससे सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती और मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहती है। वहीं, दूसरी ओर जो फसलें पक चुकी हैं या कटकर खेतों में पड़ी हैं, जैसे सोयाबीन और मक्का, उन्हें इससे नुकसान पहुंच सकता है। लगातार बादल छाए रहने से धूप न निकलने के कारण फसलें गलने या अंकुरित होने लगती हैं।

इन जिलों में जारी है भारी बारिश का अलर्ट

मौसम विभाग ने मध्यप्रदेश के कई जिलों में अगले 24 घंटों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। मंदसौर, नीमच, शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर, भिंड, मुरैना और श्योपुरकलां में कहीं-कहीं तेज बारिश हो सकती है। वहीं भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा और बुरहानपुर जिलों में भी रुक-रुक कर बारिश जारी रहने के आसार हैं। इस दौरान बिजली गिरने और आंधी की भी संभावना बनी हुई है, इसलिए किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

किसानों की हालत: कहीं नुकसान, कहीं राहत

बैतूल: जिले में कुछ किसानों ने फसल की कटाई कर ली थी, लेकिन बारिश से खेतों में पड़ी फसलें भीग गईं। मक्का की बालियों में अंकुरण शुरू हो गया है, जिससे गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।

सागर: शाहपुर और देवरी क्षेत्रों में कई किसानों की मक्का और धान की फसल खराब हो गई है। हालांकि बंडा और खुरई इलाकों में किसानों के चेहरे पर राहत है, क्योंकि यह बारिश बुआई से पहले की सिंचाई का काम करेगी।

जबलपुर: चरगवां और बरगी क्षेत्र में खेतों में सूखने के लिए रखे मक्का के दाने भीग गए हैं। बेलखेड़ा और शहपुरा में धान की खड़ी फसल झुककर गिर गई है, जिससे कटाई मुश्किल हो जाएगी।

उज्जैन: यहां शनिवार से जारी बारिश ने कृषि उपज मंडी में जलभराव की स्थिति पैदा कर दी है। मंडी परिसर में कीचड़ फैल गया है और सोयाबीन की खेपें भीगने से नुकसान हुआ है।

असर: सर्दी बढ़ेगी, लेकिन किसान सतर्क रहें

विशेषज्ञों का मानना है कि चक्रवाती गतिविधियों के थमने के बाद ठंड एक बार फिर तेजी से बढ़ेगी। अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत से तापमान में तेजी से गिरावट दर्ज होगी। हालांकि, तब तक यह जरूरी है कि किसान अपनी फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें और मौसम विभाग की चेतावनियों पर नजर बनाए रखें।