रामनगरी अयोध्या में स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भव्य निर्माण अब पूरी तरह से संपन्न हो चुका है। लंबे इंतजार और कठिन परिश्रम के बाद यह ऐतिहासिक मंदिर अपनी सम्पूर्ण दिव्यता और भव्यता के साथ तैयार है। 25 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वजारोहण कर इस अद्वितीय आध्यात्मिक केंद्र के पूर्ण होने का प्रतीकात्मक उद्घाटन करेंगे। गौरतलब है कि 5 अगस्त 2020 को मंदिर के भूमि पूजन का शुभारंभ भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया था, और 22 जनवरी 2024 को उन्होंने ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न करवाई थी। अब मंदिर के पूर्ण निर्माण के उपरांत, एक बार फिर वही ऐतिहासिक क्षण आने वाला है जब श्रीराम मंदिर पर विजय और श्रद्धा का ध्वज लहराएगा। इस समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहेंगे, जिससे यह अवसर और भी पावन बन जाएगा।
नागर शैली में पत्थरों से निर्मित अद्वितीय मंदिर
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का पूरा ढांचा पारंपरिक नागर शैली में तैयार किया गया है, जो भारतीय मंदिर वास्तुकला की सबसे प्राचीन और सुंदर शैली मानी जाती है। मंदिर पूर्णतः पत्थरों से निर्मित है, और इसकी हर ईंट और पत्थर पर नक्काशी भारतीय संस्कृति और आस्था की झलक प्रस्तुत करती है। भूतल पर भगवान रामलला विराजमान हैं, जबकि प्रथम तल पर सम्पूर्ण राम परिवार की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। मंदिर के शीर्ष पर कलश और ध्वज दंड पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। इसके चारों ओर लगभग 800 मीटर लंबा और 14 फीट चौड़ा पत्थरों का परकोटा निर्मित है, जो मंदिर को सुरक्षा और भव्यता दोनों प्रदान करता है। परकोटे के चारों कोनों पर भगवान शिव, गणेश, सूर्य देव और मां भगवती की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो चारों दिशाओं से मंदिर की रक्षा का प्रतीक हैं।
आसपास के मंदिरों और देवस्थलों का भी निर्माण पूर्ण
मुख्य मंदिर के अतिरिक्त परिसर के दक्षिणी हिस्से में भगवान हनुमान का भव्य मंदिर बनाया गया है, जबकि उत्तरी दिशा में माता अन्नपूर्णा का मंदिर स्थापित किया गया है। इन दोनों मंदिरों पर भी कलश और ध्वज दंड लगाए जा चुके हैं और यहां नियमित पूजा-अर्चना प्रारंभ हो चुकी है। जून माह में इन मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराई गई थी। वहीं, राम मंदिर के दक्षिणी और पश्चिमी छोर पर भगवान लक्ष्मण के शेषावतार मंदिर का निर्माण भी पूरा हो गया है। इसके अतिरिक्त, सप्त मंडप में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और माता अहिल्या के भी मंदिर बनाए गए हैं, जिनमें सभी प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा पूरी हो चुकी है।
महापुरुषों की स्मृति में बने पवित्र स्थल
राम मंदिर परिसर में संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जी का मंदिर भी निर्मित किया गया है, जिनकी रचनाओं ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाया। इसके अलावा, कुबेर टीला पर जटायू की और अंगद टीला पर गिलहरी की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं — ये दोनों प्रतीक भगवान राम के वनवास काल की महत्ता और समर्पण की भावना को दर्शाते हैं। मंदिर परिसर का हर कोना रामकथा के किसी न किसी प्रसंग की झलक प्रस्तुत करता है, जिससे यह स्थान केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत केंद्र बन गया है।
श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं और व्यवस्थाएं पूर्ण
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी आवश्यक निर्माण कार्य पूरे कर लिए गए हैं। दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए यातायात, सुरक्षा, जल व्यवस्था और आवास की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। ट्रस्ट ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि आने वाले तीर्थयात्री बिना किसी असुविधा के दर्शन का लाभ ले सकें। आधुनिक तकनीक और पारंपरिक सौंदर्य का संगम इस परिसर को अद्वितीय बनाता है।
एक युगांतकारी क्षण की प्रतीक्षा
अब अयोध्या में 25 नवंबर का दिन इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज होने वाला है। रामलला की नगरी फिर से अपने संपूर्ण वैभव में जगमगाएगी, जब मंदिर के शिखर पर धर्म, श्रद्धा और मर्यादा का प्रतीक ध्वज लहराएगा। यह न सिर्फ अयोध्या या उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए गौरव और आस्था का क्षण होगा वह क्षण, जब करोड़ों लोगों का वर्षों पुराना सपना साकार रूप में जगमगाएगा।