इंदौर में पकड़ी गई नकली घी की फैक्ट्री, 3400 लीटर मिलावटी घी बरामद

इंदौर के पालदा क्षेत्र में प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए नकली घी बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। खाद्य विभाग की टीम ने बुधवार शाम यहां छापा मारा, जिसमें करीब 3400 लीटर मिलावटी घी बरामद किया गया। छापे के दौरान फैक्ट्री से घी तैयार करने में इस्तेमाल होने वाली मशीनें और केमिकल मिक्सिंग यूनिट भी जब्त की गई हैं।

प्रशासन के अनुसार यह फैक्ट्री लंबे समय से असली घी में एसेंस और केमिकल मिलाकर नकली घी तैयार कर रही थी, जिसे असली बताकर बाजार में सप्लाई किया जा रहा था।

शिकायत के बाद हुई छापामार कार्रवाई

कलेक्टर शिवम वर्मा ने जानकारी दी कि उन्हें फैक्ट्री में मिलावट की शिकायत मिली थी। शिकायत की पुष्टि के बाद खाद्य विभाग की टीम ने मौके पर अचानक छापा मारा। पहले यहां से घी के सैंपल लिए गए थे, जिनकी प्रारंभिक जांच में मिलावट की पुष्टि हुई। इसके बाद टीम ने फैक्ट्री से 3400 लीटर मिलावटी घी जब्त किया।

कलेक्टर ने बताया कि इस फैक्ट्री को सील कर दिया गया है और नमूनों की आगे जांच के लिए लैब भेजा गया है। यदि घी में किसी प्रकार के हानिकारक रसायन या स्वास्थ्य के लिए खतरनाक तत्व पाए जाते हैं, तो संचालक के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दिवाली से पहले चल रही मिलावटी खाद्य पदार्थों पर सख्ती

कलेक्टर वर्मा ने बताया कि त्योहारी सीजन में खाद्य विभाग की टीमें लगातार मिलावटी खाद्य सामग्री पर कार्रवाई कर रही हैं। उन्होंने कहा, “हम यह भी जांच कर रहे हैं कि यह नकली घी किन-किन दुकानों या डिस्ट्रीब्यूटर्स को सप्लाई किया जा रहा था। पूरी सप्लाई चेन की जानकारी जुटाई जा रही है। जो भी इस नेटवर्क से जुड़ा होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।”

कैसे बन रहा था नकली घी?

जांच में सामने आया है कि फैक्ट्री का संचालक बाजार से बटर और देसी घी खरीदकर उन्हें मशीनों में मिलाता था। फिर इसमें एसेंस और केमिकल डालकर उसे असली घी जैसा रंग और खुशबू दी जाती थी। तैयार होने के बाद यह नकली घी विभिन्न ब्रांड नामों से पैक करके बाजार में बेचा जाता था। फैक्ट्री में लगे उपकरण विशेष रूप से इस काम के लिए तैयार किए गए थे, जो केमिकल को घी में समान रूप से मिक्स करते थे।

संचालक ने दी सफाई – “मैं तो री-पैकिंग का काम करता हूं”

फैक्ट्री संचालक नरेंद्र कुमार ने प्रशासन के आरोपों से इनकार किया है। उसने कहा, “मैं देसी घी का ट्रेडिंग और री-पैकिंग का काम करता हूं। मैं मार्केट से बटर और लूज घी खरीदकर अपने रजिस्टर्ड ब्रांड में पैक करता हूं। मैं कोई पाम ऑइल या केमिकल नहीं डालता।” नरेंद्र ने दावा किया कि उसका व्यवसाय पूरी तरह एगमार्क, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के तहत पंजीकृत है और वह पिछले सात सालों से यह काम कर रहा है। उसने कहा कि “किसी ने झूठी शिकायत कर दी, जिसके कारण यह कार्रवाई हुई।”

जांच जारी, कठोर कार्रवाई के संकेत

प्रशासन का कहना है कि यह मामला केवल एक फैक्ट्री तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी पूरी सप्लाई चेन की जांच की जा रही है। मिलावटी घी कहां-कहां भेजा गया और किन दुकानदारों ने इसे खरीदा, इसका पता लगाया जा रहा है।

कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि “मिलावटखोरी किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे।”