MP ई-अटेंडेंस विवाद: सरकारी स्कूलों के शिक्षक डिजिटल उपस्थिति से परेशान, सरकार ने हाईकोर्ट में रखी रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की ई-अटेंडेंस (E-Attendance) व्यवस्था को लेकर जारी विवाद अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। गुरुवार को इस मामले पर जस्टिस एम.एस. भट्टी की एकलपीठ में सुनवाई हुई। दरअसल, प्रदेश के कई जिलों में पदस्थ शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस से जुड़ी तकनीकी दिक्कतों और नेटवर्क समस्याओं के खिलाफ याचिका दायर की थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने शिक्षकों और राज्य सरकार दोनों से अपने-अपने पक्ष में रिकॉर्ड सहित जवाब पेश करने को कहा था। गुरुवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 7 नवंबर तय की है।

सरकार का तर्क – नेटवर्क की कोई समस्या नहीं

राज्य शासन की ओर से अदालत में कहा गया कि शिक्षकों द्वारा उठाई गई नेटवर्क की समस्या वास्तविक नहीं है, क्योंकि उन्हीं स्कूलों में अधिकांश शिक्षक बिना किसी परेशानी के “हमारे शिक्षक एप” के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। शासन ने यह भी दावा किया कि ई-अटेंडेंस प्रणाली से पारदर्शिता आई है और शिक्षकों की उपस्थिति का रिकॉर्ड अब अधिक सटीक और विश्वसनीय हो गया है। इस पर अदालत ने सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए विस्तृत आंकड़े पेश करने का निर्देश दिया है।

शिक्षकों की शिकायतें – नेटवर्क, ऐप और संसाधनों की दिक्कतें

दूसरी ओर, याचिकाकर्ता शिक्षकों की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने दलील दी कि इस डिजिटल व्यवस्था में कई व्यवहारिक अड़चनें हैं। शिक्षकों ने बताया कि ‘हमारे शिक्षक एप’ में बार-बार सर्वर डाउन होने, चेहरे की पहचान में त्रुटि (Face Matching Error) और नेटवर्क कनेक्टिविटी की दिक्कतें सामने आती हैं। कई ग्रामीण या पहाड़ी इलाकों में इंटरनेट सिग्नल बहुत कमजोर है, जिससे उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती। इसके अलावा, सभी शिक्षकों के पास हाई-एंड स्मार्टफोन नहीं हैं, और रोजाना डेटा पैक खरीदना या मोबाइल बैटरी चार्ज रखना भी चुनौती बन गया है। याचिका में यह भी कहा गया कि ऐप के बजाय उपस्थिति बायोमेट्रिक मशीन या पारंपरिक रजिस्टर प्रणाली से दर्ज कराने की अनुमति दी जाए।

कोर्ट में पेश हुए आंकड़े – 73% शिक्षक लगा रहे ई-अटेंडेंस

शासन ने कोर्ट में बताया कि फिलहाल राज्यभर में लगभग 73 प्रतिशत शिक्षक सफलतापूर्वक ई-अटेंडेंस सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। सरकार ने यह भी कहा कि केवल सीमित स्थानों पर ही तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, जिन्हें जल्द ठीक किया जा रहा है। कोर्ट ने इस पर निर्देश दिया कि सरकार उन स्कूलों की पूरी जानकारी प्रस्तुत करे, जहां याचिकाकर्ता तैनात हैं, और साथ ही उन स्कूलों के अन्य कर्मचारियों के ई-अटेंडेंस डेटा भी रिकॉर्ड पर लाए जाएं।

अगली सुनवाई 7 नवंबर को

अदालत ने दोनों पक्षों के तर्कों और दस्तावेजों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को तय की है। इस सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि ई-अटेंडेंस व्यवस्था को लेकर शिक्षकों की शिकायतें कितनी वाजिब हैं और क्या इस प्रणाली में संशोधन या वैकल्पिक व्यवस्था की आवश्यकता है। इस मामले पर अब सबकी निगाहें कोर्ट के आगामी फैसले पर टिकी हैं, जो यह निर्धारित करेगा कि मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति प्रणाली पारंपरिक रहेगी या पूरी तरह डिजिटल बनेगी।