हाईकोर्ट का झटका, इंदौर नगर निगम चमेलीदेवी स्कूल से नहीं वसूल सकेगा टैक्स

इंदौर नगर निगम पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है और अपनी आय बढ़ाने के लिए लगातार नए प्रयास कर रहा है। हालांकि, इन्हीं कोशिशों के बीच निगम को हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। निगम द्वारा चमेलीदेवी स्कूल से वसूला जाने वाला टैक्स अब नहीं लिया जा सकेगा।

हाईकोर्ट ने स्कूल प्रबंधन के पक्ष में सुनाया फैसला

नगर निगम ने इंदौर के चर्चित चमेलीदेवी स्कूल पर लाखों रुपये के संपत्तिकर, शहरी विकास उपकर और शिक्षा उपकर की वसूली निकाली थी। यह स्कूल मध्यप्रदेश के उद्योगपति विनोद अग्रवाल के भाई पुरुषोत्तम अग्रवाल द्वारा संचालित है। स्कूल प्रबंधन ने इस वसूली के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद स्कूल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नगर निगम की टैक्स वसूली को अवैध ठहराया और इसे निरस्त कर दिया। साथ ही निगम को आदेश दिया गया है कि पहले से वसूले गए टैक्स की राशि का समायोजन या वापसी की जाए।

स्कूल प्रबंधन और शासन के तर्क

इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने दया देवी शिक्षा समिति (सुप्रा) और पायनियर सोसाइटी फॉर प्रोफेशनल स्टडीज से जुड़े पुराने न्यायिक फैसलों का हवाला दिया। इन मामलों में भी यह निर्णय हुआ था कि शैक्षणिक संस्थानों से संपत्तिकर वसूल नहीं किया जा सकता क्योंकि ये संस्थान लाभ के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा के उद्देश्य से संचालित होते हैं।

वहीं शासन की ओर से तर्क दिया गया कि पुराने दोनों फैसले अनुचित और गैर-बाध्यकारी हैं। शासन का कहना था कि नगर पालिका अधिनियम, 1956 के अंतर्गत राज्य सरकार को शैक्षणिक संस्थानों को टैक्स से छूट देने का अधिकार नहीं है। इसलिए इस मामले की पुनर्समीक्षा आवश्यक है।

न्यायालय का निर्णय और तर्क

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद स्कूल प्रबंधन के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने कहा कि पहले दिए गए न्यायिक आदेश पूरी तरह सुविचारित और वैधानिक आधार पर दिए गए थे। अतः उन पर पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला पहले के फैसलों के अनुरूप है और नगर निगम को स्कूल से टैक्स की मांग करने का अधिकार नहीं है।

निगम को राशि लौटाने का आदेश

अदालत ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वह स्कूल प्रबंधन द्वारा जमा की गई राशि को नई टैक्स मांग के विरुद्ध समायोजित करे, और यदि कोई अतिरिक्त भुगतान किया गया है, तो उसे दो माह के भीतर वापस लौटाया जाए। साथ ही निगम को आदेश दिया गया कि वह स्कूल को संशोधित बिल या चालान जारी करे, जिसमें शिक्षा उपकर और शहरी विकास उपकर का उल्लेख न हो।

नगर निगम पर वित्तीय दबाव बढ़ा

इस फैसले के बाद इंदौर नगर निगम की आर्थिक स्थिति पर और दबाव बढ़ने की संभावना है। पहले से ही कम होती राजस्व आय के बीच निगम का एक बड़ा टैक्स स्रोत समाप्त हो गया है। राजनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे पर विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि कई निजी शैक्षणिक संस्थान अब इसी आदेश का हवाला देते हुए टैक्स छूट की मांग कर सकते हैं।