गरीबी की दीवारों को तोड़ते हुए आसमान छूने वाली विश्व विजेता बनी क्रांति गौड़

महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की शानदार जीत ने भारत की बेटियों को विश्व विजेता बना दिया है। उन्होंने बैटिंग और बालिंग में शानदार प्रदर्शन करते हुए साऊथ अफ्रीका की टीम को फाइनल में करारी हार दी है। भारतीय टीम के खिलाड़ियों में बुंदेलखंड के छतरपुर जिले की बेटी क्रांति गौड़ भी शामिल है। जिसके शानदार प्रदर्शन से टीम को मजबूती मिली।

छतरपूर में मना जश्न
फाइनल में प्रवेश होते ही क्रांति गौड़ के घुवारा नगर और छतरपुर में जश्न का माहौल है। जगह-जगह बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। क्रांति गौड़ के घर पर बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी जहां नगर के लोगों के साथ पूरा परिवार स्क्रीन पर नजर जमाए बैठे रहे। जैसे ही रात के 12 बजे भारतीय महिला टीम विश्व विजेता बनी आतिशबाजी शुरू हो गई।

पिता ने बताया बेटी का आत्मविश्वास
इस खुशी के मौके पर क्रांति गौड़ के पिता मुन्ना लाल गौड़ ने कहा कि बेटी क्रांति कह गई है कि वर्ल्ड कप जीतकर ही आएंगे। वो जीत गईं। क्रांति सहित देश की बेटियों ने कमाल कर कर दिया। भारतीय टीम की जीत के लिए छतरपुर में संकट मोचन हनुमान मंदिर पर सुबह से ही हवन पूजन किया गया । आधी रात को आसमान में रंगीन आतिशबाजी विश्व विजेता का एलान करती रही।

क्रांति गौड़ के जीवन की दिलचस्प बातें
22 साल की तेज़ गेंदबाज़ क्रांति गौड़ जिन्होंने 2025 महिला ओडीआय  वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका पर भारत की शानदार जीत में अहम भूमिका निभाई हैं. जीत के बाद उनके घर और पूरे देश में जश्न मनाया गया. लेकिन आज हम बात करते है उनके सघर्ष की जिन्होने गरीबी के जीवन से सीख लेते हुए विश्व विजेता बनने की ठानी और उपलब्धि हासिल कर दिखाई
रिटायर्ड पुलिस कांस्टेबल की है बेटी
क्रांति गौड़ मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक छोटे से कस्बे घुवारा की रहने वाली हैं. उनके पिता एक रिटायर्ड पुलिस कांस्टेबल हैं, और उनकी शुरुआती ज़िंदगी मुश्किलों से भरी थी. इसके बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हिम्मत से सभी मुश्किलों का सामना किया

सीएम ने की1 करोड़ देने की घोषणा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश की बेटी एवं भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी सुश्री क्रांति गौड़ को 1 करोड़ रुपये देनें की घोषणा की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ यादव ने खिलाड़ी सुश्री क्रांति गौड़ को दी बधाई

8 वीं के बाद रूक गई थी पढ़ाई
क्रांति गौड़ की कहानी इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि घर की बेहद खराब आर्थिक स्थिति के कारण उनकी पढ़ाई क्लास 8 के बाद ही रुक गई थी. जब उनके पिता की नौकरी चली गई थी. लेकिन उनकी क्रिकेट प्रतिभा को उनकी माँ ने अपनी ज्वेलरी बेचकर सपोर्ट किया

पिता के दोस्त ने की मदद
क्रांति की ज़िंदगी में टर्निंग पॉइंट तब आया जब उनके पिता उन्हें कोच राजीव बिल्थारे के पास ले गए. उनकी बॉलिंग में कुछ अलग देखकर, राजीव ने न सिर्फ़ उन्हें फ़्री कोचिंग दी, बल्कि उन्हें जूते, बैट और रहने की जगह भी दी.

6 भाई बहनों में से क्रांति
छह भाई-बहनों में से एक क्रांति को बचपन से ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने टैलेंट और कड़ी मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया. बचपन में जब दूसरे बच्चे अपना समय खेलने में बिताते थे, क्रांति अपने घर के सामने मैदान में लड़कों के साथ बॉलिंग की प्रैक्टिस करती थीं. उनके पिता की नौकरी जाने के बाद परिवार को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा, लेकिन क्रांति ने कड़ी मेहनत जारी रखी.

कड़ी मेहनत से पाया मुकाम
छह भाई-बहनों में से एक क्रांति को बचपन से ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने टैलेंट और कड़ी मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया. बचपन में जब दूसरे बच्चे अपना समय खेलने में बिताते थे, क्रांति अपने घर के सामने मैदान में लड़कों के साथ बॉलिंग की प्रैक्टिस करती थीं. उनके पिता की नौकरी जाने के बाद परिवार को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा, लेकिन क्रांति ने कड़ी मेहनत जारी रखी।

आंसुओं में झलकी खुशी
गांव के देवी मंदिर में क्रांति की बड़ी बहन रोशनी गौड़ ने पूरे परिवार के साथ पूजा-अर्चना कर देश की जीत की कामना की। मां के चेहरे पर गर्व के साथ-साथ बेटी की याद में आंसू थे मगर वो आंसू खुशी के थे उस बेटी पर गर्व के जिसने गरीबी की दीवारों को तोड़ते हुए आसमान छू लिया।