राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सौ वर्षीय साधना यात्रा में संघ ने न केवल राष्ट्र के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है, बल्कि असंख्य सामान्य व्यक्तियों को भी साधक बनने का अवसर प्रदान किया है। यही भाव अरविंद जोशी जी के जीवन में भी साकार हुआ। उक्त विचार संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैय्याजी जोशी ने मंगलवार को इंदौर में व्यक्त किए। वे समाजसेवी स्व. अरविंद जी जोशी की जीवन स्मृतियों पर आधारित पुस्तक ‘संघ साधक’ के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
साधना के मार्ग पर निरंतर चलने वाला ही सच्चा साधक
अपने प्रेरक उद्बोधन में श्री भैय्याजी जोशी ने कहा कि साधना का मार्ग आसान नहीं होता, किंतु जो व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से, बिना फल की चिंता किए अपने कर्म में निरंतर लगा रहता है वही सच्चा साधक कहलाता है। उन्होंने कहा- फल की चिंता करने वाला साधक, साधना का आनंद खो देता है। जो व्यक्ति निष्काम भाव से अपने कार्य में लीन रहता है, वही प्रसन्न और स्थिर रहता है।” उन्होंने साधना के लिए आवश्यक गुणों का उल्लेख करते हुए कहा कि अंतःकरण की शुद्धता, बाह्य आचरण की पवित्रता, पूर्ण समर्पण और कार्य के प्रति अटूट निष्ठा यही एक साधक के वास्तविक गहने हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कभी-कभी व्यक्ति साधनों से मोह करने लगता है। साधनों के प्रति स्नेह स्वाभाविक है, परंतु साध्य यानी लक्ष्य का स्मरण सदा बना रहना चाहिए।
संघ ने सिखाया — सबको साथ लेकर चलने की साधना
भैय्याजी जोशी ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अद्वितीय परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ ने सभी को साधना के इस पथ पर साथ लेकर चलने का संस्कार दिया है। उन्होंने कहा – संघ ने हमें सिखाया है कि हम अकेले नहीं, सबको साथ लेकर चलें। किसी को अपना बनाने में आनंद है, पर किसी को अपने जैसा बनाने का दुराग्रह नहीं होना चाहिए।” उनके इन शब्दों ने उपस्थित स्वयंसेवकों और समाजसेवियों के हृदय को स्पर्श किया। यह संदेश संघ के व्यापक दृष्टिकोण और समरस समाज की भावना को अभिव्यक्त करता है।
‘संघ साधक’ पुस्तक का हुआ गरिमामय विमोचन
अर्चना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह प्रेरक कृति ‘संघ साधक’ मंगलवार को गणेश मंडल, इंदौर में एक भव्य समारोह के बीच विमोचित की गई। यह पुस्तक माधवाश्रम न्यास गौशाला, मंडलेश्वर के संस्थापक एवं पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय श्री अरविंद जी जोशी के जीवन की प्रेरक स्मृतियों पर आधारित है। पुस्तक विमोचन का कार्य भैय्याजी जोशी, डॉ. प्रकाश जी शास्त्री (मालवा प्रांत संघचालक एवं अध्यक्ष, माधवाश्रम न्यास) तथा अर्चना प्रकाशन के ओमप्रकाश जी गुप्ता के करकमलों से संपन्न हुआ।
समारोह में भावनात्मक वातावरण, परिजनों ने साझा की स्मृतियाँ
विमोचन समारोह में स्व. अरविंद जी जोशी के परिजनों, सहयोगियों और समाजसेवियों ने अपने संस्मरण साझा किए। उन्होंने जोशी जी के निस्वार्थ समाजसेवा, संघ के प्रति समर्पण और मानवीय संवेदनाओं से भरे व्यक्तित्व को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित जनों ने कहा कि श्री अरविंद जी जोशी का जीवन संघ के आदर्शों का मूर्त उदाहरण था जिन्होंने संगठन, सेवा और साधना तीनों का सुंदर संगम अपने जीवन में साधा।
पुस्तक अब उपलब्ध
‘संघ साधक’ पुस्तक अर्चना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है और माधव वस्तु भंडार, इंदौर पर उपलब्ध है। यह कृति न केवल अरविंद जोशी जी के जीवन का प्रतिबिंब है, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा है जो संघ के मार्ग पर साधना और सेवा के भाव से आगे बढ़ना चाहते हैं।