देशभर में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में सरकार ने बताया कि कोचिंग संस्थानों से जुड़े सभी पहलुओं — जैसे परिभाषा, पंजीकरण की शर्तें, फीस संरचना और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य — पर पहले ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि इन दिशा-निर्देशों को और सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यबल (National Task Force – NTF) की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिसे दिसंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दाखिल किया गया हलफनामा
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यह हलफनामा हाल ही में जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन की स्थिति बताते हुए दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को अपने आदेश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आठ सप्ताह के भीतर यह जानकारी देने को कहा था कि उन्होंने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम से जुड़ी गाइडलाइंस को लागू किया या नहीं। इसके जवाब में मंत्रालय ने बताया कि कोर्ट के आदेशों से सभी राज्यों को अवगत करा दिया गया है और अधिकांश ने आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिए गए निर्देश
सरकार ने स्पष्ट किया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशानिर्देशों के अनुरूप जिला निगरानी समितियों (District Monitoring Committees) का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं। ये समितियां कोचिंग सेंटरों और शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के हितों की निगरानी करेंगी।
हलफनामे में यह भी बताया गया कि सीबीएसई (CBSE) और यूजीसी (UGC) ने पहले से कई ठोस कदम उठाए हैं, जैसे कि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, हेल्पलाइन नंबर, और छात्रों के लिए परामर्श सत्र। वहीं, कई राज्य सरकारों ने इस विषय पर अपने-अपने कानून भी अधिसूचित किए हैं।
कोचिंग सेंटरों के लिए नए दिशा-निर्देश
सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए हैं, उनमें छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
इन दिशा-निर्देशों में शामिल हैं:
- कोचिंग संस्थानों की स्पष्ट परिभाषा और अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया
- फीस संरचना की पारदर्शिता और अनुचित वसूली पर प्रतिबंध
- बुनियादी ढांचे के मानक — जैसे पर्याप्त वेंटिलेशन, सुरक्षा इंतजाम और आरामदायक कक्षाएं
- कोचिंग सेंटरों में परामर्शदाता (Counselors) और मनोवैज्ञानिक (Psychologists) की अनिवार्य नियुक्ति
- छात्रों को बैचों या रैंक के आधार पर विभाजित न करने का नियम
- सभी संस्थानों द्वारा छात्रों से संबंधित रिकॉर्ड का रखरखाव
- निगरानी और शिकायत निवारण तंत्र की व्यवस्था
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि कोचिंग सेंटरों की गतिविधियों की निरंतर निगरानी के लिए एक शिकायत निवारण प्रणाली (Grievance Redressal Mechanism) बनाई गई है। इसके तहत छात्रों या अभिभावकों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, नियमों के उल्लंघन पर संबंधित संस्थानों के पंजीकरण रद्द करने और दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान भी किए गए हैं।
दिसंबर तक तैयार होगी NTF की रिपोर्ट
सरकार ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यबल (NTF) छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की घटनाओं के मूल कारणों का अध्ययन कर रही है। यह रिपोर्ट दिसंबर 2025 तक तैयार हो जाएगी और सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। रिपोर्ट में स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता को मजबूत करने के लिए नीति-स्तर पर सुझाव दिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शिक्षण संस्थानों में बढ़ती आत्महत्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा था कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य संकट को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि यह देश के भविष्य से जुड़ा हुआ मुद्दा है।
इसी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि हर शैक्षणिक संस्था में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, छात्र सुरक्षा मानदंड और शिकायत निवारण तंत्र लागू किया जाए।