GST राहत से बढ़ी रफ्तार, भारत की ग्रोथ 6.8% पार करने की उम्मीद

भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत रफ्तार से आगे बढ़ रही है और सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष (FY26) में ग्रोथ रेट 6.8% से भी अधिक रह सकती है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि हाल के महीनों में उपभोग में वृद्धि और टैक्स सुधारों का सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है।

टैक्स रियायतों और उपभोग वृद्धि ने दी ग्रोथ को रफ्तार

नागेश्वरन के अनुसार, GST दरों में कमी और इनकम टैक्स में राहत ने लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाई है। इससे घरेलू खपत में वृद्धि हुई है, जो देश की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारकों में से एक रही है। उनका कहना है कि पिछले कुछ तिमाहियों में रिटेल डिमांड और सर्विस सेक्टर की मजबूती ने ग्रोथ को स्थिर बनाए रखा है।

इकॉनमिक सर्वे के अनुमान से बेहतर प्रदर्शन

जनवरी 2025 में संसद में पेश किए गए इकॉनमिक सर्वे में FY26 के लिए 6.3% से 6.8% की जीडीपी ग्रोथ रेंज का अनुमान जताया गया था। हालांकि अब मुख्य आर्थिक सलाहकार का मानना है कि ताजा आर्थिक रुझानों को देखते हुए भारत इस अनुमान को पार करने की स्थिति में है। उन्होंने कहा, “पहले आशंका थी कि ग्रोथ 6% के आसपास रहेगी, लेकिन अब हम 6.8% से ऊपर के स्तर पर पहुंचने को लेकर आश्वस्त हैं।”

6.5% से ऊपर रहने की संभावना, 7% का आंकड़ा भी संभव

नागेश्वरन ने स्पष्ट किया कि मौजूदा आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए GDP 6.5% से ऊपर रहने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि 7% ग्रोथ के स्तर का अनुमान लगाने से पहले दूसरी तिमाही के आंकड़ों की समीक्षा जरूरी होगी, लेकिन अब तक के संकेत बेहद सकारात्मक हैं।

मजबूत सेक्टरों ने बढ़ाई GDP की रफ्तार

भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.8% GDP ग्रोथ दर्ज की थी। यह तेजी मुख्य रूप से कृषि, ट्रेड, होटल, फाइनेंशियल सर्विसेज और रियल एस्टेट सेक्टर के शानदार प्रदर्शन की वजह से आई। इससे पहले जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही में GDP 8.4% की दर से बढ़ी थी, जो हाल के वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर था। चीन की 5.2% ग्रोथ की तुलना में भारत आज भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से मिल सकता है अतिरिक्त बूस्ट

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह भी कहा कि अगर भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) जल्द सुलझ जाता है, तो भारत की आर्थिक ग्रोथ को और रफ्तार मिल सकती है। अमेरिका ने वर्तमान में भारत के निर्यातित उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा रखा है, जिसमें रूस से तेल खरीद पर 25% अतिरिक्त शुल्क शामिल है। यह शुल्क अगस्त से लागू है, और दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। नागेश्वरन का कहना है कि “जैसे ही यह व्यापार विवाद सुलझेगा, भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान और बेहतर हो जाएंगे।”

कुल मिलाकर, भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक मंदी और व्यापारिक चुनौतियों के बावजूद मजबूत और लचीली बनी हुई है। टैक्स सुधारों, उपभोग में वृद्धि और सेवा क्षेत्र की मजबूती ने ग्रोथ को सहारा दिया है। आने वाले महीनों में यदि अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक बाधाएं कम होती हैं, तो भारत 7% से अधिक ग्रोथ रेट हासिल कर सकता है।