इंदौर नगर निगम के पार्षद अनवर कादरी पर लगे गंभीर आरोपों के बाद प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। संभागीय आयुक्त ने आदेश जारी करते हुए उनकी पार्षदी समाप्त कर दी है और साथ ही उन्हें आगामी पांच वर्षों तक किसी भी चुनाव में भाग लेने से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। यह निर्णय प्रदेश में जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही और आचरण को लेकर एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।
देशविरोधी गतिविधियों और फंडिंग के आरोप बने कार्रवाई का आधार
महापौर पुष्यमित्र भार्गव के अनुसार, पार्षद कादरी पर अपने कार्यकाल के दौरान देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने और ‘लव जिहाद’ जैसे गंभीर मामलों में फंडिंग करने के आरोप लगे थे। इन गतिविधियों से न केवल नगर निगम की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची बल्कि नागरिकों में भी व्यापक असंतोष फैला। प्रशासन को इन मामलों के पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद कार्रवाई को आवश्यक माना गया।
पार्षदों ने दो-तिहाई बहुमत से पारित किया प्रस्ताव
इन आरोपों के बाद नगर निगम के अन्य पार्षदों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया। सभापति के समक्ष दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर मामला संभागीय आयुक्त को भेजा गया। शिकायतों और प्रस्तुत दस्तावेजों का गहन अध्ययन करने के बाद संभागीय आयुक्त ने नियमों के तहत कठोर निर्णय सुनाया और अनवर कादरी की पार्षदी रद्द कर दी।
महापौर बोले – “जनप्रतिनिधियों के लिए कड़ा संदेश”
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस निर्णय को “जनप्रतिनिधियों के लिए चेतावनी” बताया। उन्होंने कहा, “यह फैसला उन सभी के लिए सख्त संदेश है जो जनता का विश्वास पाकर देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं। जनसेवा का दायित्व निभाने वाले व्यक्ति से इस तरह की गतिविधियां किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं।”
सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने किया निर्णय का स्वागत
इंदौर के कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने इस निर्णय की खुले तौर पर सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल नगर निगम की छवि को सुधारने में मदद करेगा बल्कि भविष्य में जनप्रतिनिधियों को भी अपने आचरण के प्रति सजग रखेगा। लोगों का कहना है कि शासन और प्रशासन ने सही समय पर सही कदम उठाया है जिससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता बनी रहेगी।