Indore में श्मशान भूमि पर कब्जे की कोशिश! हंस ग्रुप की मंशा पर उठे सवाल

इंदौर का मशहूर हंस ट्रेवल्स ग्रुप अब रियल एस्टेट कारोबार में कदम रख चुका है। कंपनी के डायरेक्टर अरुण गुप्ता ने कबीटखेड़ी गांव (मल्हारगंज तहसील) में “हंस ग्रीन्स” नाम से एक शानदार आवासीय प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। यह प्रोजेक्ट उनकी कंपनी हंस रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड के तहत विकसित किया जा रहा है। लगभग 15,000 वर्गमीटर में फैले इस प्रोजेक्ट में 70 से अधिक प्रीमियम प्लॉट शामिल हैं और इसकी अनुमानित कीमत 50 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। लेकिन इस बड़े प्रोजेक्ट के साथ अब विवाद भी खड़ा हो गया है।

श्मशान घाट के कारण बिक्री में अड़चनें

हंस रियलकॉन का यह प्रोजेक्ट कबीटखेड़ी गांव की जमीन (सर्वे नंबर 78/2, 79/2, 80/2, 81/2, 82/1, 83/2) पर स्थित है। ठीक इसके बगल में निरंजनपुर तहसील की सर्वे नंबर 235 वाली जमीन है, जहां 80-90 साल पुराना सरकारी श्मशान घाट मौजूद है। यहां आसपास के गांवों — कबीटखेड़ी और निरंजनपुर — के लोग अंतिम संस्कार करते हैं।

कंपनी के अनुसार, इस श्मशान की वजह से प्रोजेक्ट की बिक्री प्रभावित हो रही है, क्योंकि ग्राहक यहां प्लॉट खरीदने से हिचकिचा रहे हैं। इसी कारण ग्रुप ने प्रशासन से श्मशान को हटाने की मांग शुरू की।

हंस ग्रुप ने दी कई शिकायतें, नहीं मिला समाधान

कंपनी ने इस श्मशान को हटाने के लिए नगर निगम, कलेक्टर, निगमायुक्त, एसडीएम (जूनी और मल्हारगंज) समेत कई अधिकारियों को शिकायतें भेजीं। शिकायत में कहा गया कि सरकारी जमीन पर कब्जा कर श्मशान और अन्य निर्माण किए जा रहे हैं। लेकिन जब इन शिकायतों का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला, तो हंस रियलकॉन ने दो रिट पिटीशन दायर कर दीं।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी – “निजी स्वार्थ में अदालत का समय बर्बाद किया गया”

मार्च 2024 में जब यह याचिका हाईकोर्ट में पहुंची, तो कोर्ट ने प्रशासन से मौके की रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में साफ कहा गया कि श्मशान की जमीन पर कोई अवैध कब्जा नहीं है और यहां केवल उन्नयन (renovation) का कार्य चल रहा है।
इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता यानी हंस रियलकॉन पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,

“यह शिकायत और रिट पिटीशन दोनों ही दुर्भावनापूर्ण हैं। याचिकाकर्ता निजी स्वार्थ में कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है। यह अदालत के समय की बर्बादी है।” हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका संपूर्ण रूप से खारिज कर दी।


फिर भी नहीं माने, दोबारा दायर की याचिका

पहली याचिका खारिज होने के बाद भी कंपनी नहीं रुकी। सितंबर 2025 में हंस रियलकॉन ने नई याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया। इस बार हाईकोर्ट ने साफ कहा कि, “यह मामला पहले ही सुना जा चुका है और कोई नया तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।” इसलिए दूसरी याचिका भी निरस्त कर दी गई।

अब फिर रिट अपील दायर, हाईकोर्ट ने मंगवाए पुराने रिकॉर्ड

दूसरी याचिका खारिज होने के बाद कंपनी ने अब रिट अपील दायर की है। कोर्ट ने इस अपील पर सुनवाई करते हुए पहले के आदेशों और सभी संबंधित दस्तावेजों को फिर से मंगवाया है। अब देखना यह होगा कि अदालत इस बार इस मामले पर क्या रुख अपनाती है।