New Delhi : कांग्रेस ने राजस्थान के भरतपुर से अपनी नवनिर्वाचित और सबसे युवा सांसदों में से एक, संजना जाटव को संगठन में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें तत्काल प्रभाव से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का सचिव नियुक्त किया है। यह नियुक्ति लोकसभा चुनाव में उनकी शानदार जीत के कुछ ही महीनों के भीतर हुई है, जो पार्टी में उनके बढ़ते प्रभाव का स्पष्ट संकेत है।
महज 26 साल की संजना जाटव ने बहुत कम समय में कांग्रेस की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनकी यह नई नियुक्ति पार्टी द्वारा युवा और जमीनी नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
दो साल में विधानसभा से संसद और अब संगठन तक
संजना जाटव का राजनीतिक सफर पिछले दो वर्षों में बेहद उतार-चढ़ाव भरा और तेज रहा है। 2023 में, कांग्रेस ने उन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव में कठूमर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था। उस चुनाव में वह कड़े मुकाबले में महज 409 वोटों के मामूली अंतर से हार गई थीं।
हालांकि, इस हार से उनका राजनीतिक भविष्य प्रभावित नहीं हुआ। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा बनाए रखा और 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भरतपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट से मैदान में उतारा। संजना ने इस अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार रामस्वरूप कोली को 51,983 मतों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही वह राजस्थान की सबसे कम उम्र की सांसद बन गईं।
प्रियंका गांधी और खड़गे का भरोसा
राजनीतिक गलियारों में यह माना जाता है कि संजना जाटव को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन प्राप्त है। विधानसभा चुनाव में करीबी हार के बावजूद उन्हें लोकसभा का टिकट दिया जाना और अब सांसद बनने के तुरंत बाद AICC में सचिव का पद मिलना, शीर्ष नेतृत्व के उन पर भरोसे को दर्शाता है।
पार्टी उनके माध्यम से राजस्थान, विशेषकर पूर्वी राजस्थान में युवा और दलित मतदाताओं के बीच अपनी पैठ को और मजबूत करना चाहती है। उनकी ऊर्जा और जमीनी जुड़ाव को पार्टी भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश के रूप में देख रही है।
क्या है AICC सचिव की भूमिका?
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में सचिव का पद एक अहम संगठनात्मक जिम्मेदारी है। AICC सचिव पार्टी के महासचिवों (General Secretary) और प्रभारियों (In-charge) के साथ मिलकर काम करते हैं। उन्हें विभिन्न राज्यों या विभागों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जहां वे पार्टी की गतिविधियों के समन्वय, बैठकों के आयोजन और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम करते हैं। यह पद किसी भी नेता को राष्ट्रीय राजनीति की मुख्यधारा में स्थापित करने में मदद करता है।