Bhopal News : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने एक बयान को लेकर सियासी विवाद में घिर गए हैं। राजधानी भोपाल के जंबूरी मैदान में सरपंचों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने पंचायत सचिवों और सहायक सचिवों के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ा रुख अपना लिया है।

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के बयान को कर्मचारियों का अपमान बताते हुए उनसे तत्काल माफी मांगने की मांग की है। साथ ही, माफी न मांगने पर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मुख्यमंत्री मोहन यादव मंगलवार को भोपाल में आयोजित ‘सरपंच संयुक्त मोर्चा सम्मेलन’ में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने त्रिस्तरीय पंचायतराज व्यवस्था में सरपंचों को सबसे शक्तिशाली बताते हुए कई घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि पंचायतों को अब 25 लाख रुपए तक के काम करने का अधिकार दिया जा रहा है। साथ ही, विकास कार्यों के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को 50-50 हजार रुपए की राशि देने का भी ऐलान किया।
‘औकात क्या है… निपटा देंगे’
सरपंचों को संबोधित करते हुए और उन्हें कार्रवाई के लिए आश्वस्त करते हुए मुख्यमंत्री की जुबान फिसल गई। उन्होंने मंच से पंचायत सचिवों के खिलाफ सख्त लहजे का इस्तेमाल किया।

“अगर सचिव काम नहीं करेगा तो, साले को हटा देंगे… इनकी औकात क्या है, दिक्कत आएगी तो ठीक करेंगे।” — मोहन यादव, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
मुख्यमंत्री के इसी बयान पर अब बवाल खड़ा हो गया है। उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
कांग्रेस ने बोला हमला, मांगी माफी
मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तुरंत पलटवार किया। उन्होंने इसे जनता का सीधा अपमान करार दिया और कहा कि मुख्यमंत्री को अपनी भाषा पर संयम रखना चाहिए।
“सरपंचों के कार्यक्रम में तालियां बटोरने के लिए पंचायत सचिवों और सहायकों को गाली देना बेहद अनुचित है।” — जीतू पटवारी, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश कांग्रेस
