Indore News : इंदौर शहर में चूहों की बढ़ती समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है। शास्त्री ब्रिज पर सड़क धंसने की घटना के बाद प्रशासन ने अब चूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है। ब्रिज के धंसे हुए हिस्से में चूहों को खत्म करने के लिए विशेष केमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह कदम नवंबर की शुरुआत में हुई उस घटना के बाद उठाया गया है, जब शास्त्री ब्रिज की सड़क का एक बड़ा हिस्सा अचानक नीचे धंस गया था। इस घटना के कारण यातायात प्रभावित हुआ और लोगों में दहशत फैल गई। शुरुआती जांच में पता चला कि सड़क के नीचे की मिट्टी को चूहों ने खोद-खोदकर खोखला कर दिया था, जिससे सड़क का आधार कमजोर हो गया और वह धंस गई। फिलहाल, ब्रिज की मरम्मत का काम जारी है।
अस्पताल से लेकर सड़क तक चूहों का आतंक
इंदौर में चूहों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या लोगों के लिए खतरा पैदा करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले सितंबर महीने में शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, एमवाय अस्पताल (महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय) से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई थी।
वहां एनआईसीयू में भर्ती दो नवजात शिशुओं की उंगलियों और पैर को चूहों ने कुतर दिया था। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन की भारी किरकिरी हुई थी।
इन दो बड़ी घटनाओं के अलावा, अब शहर के एक और प्रमुख स्थल, रीगल चौराहे के पास स्थित गांधी प्रतिमा के आसपास भी चूहों की समस्या बढ़ने की शिकायतें मिली हैं। लगातार सामने आ रही इन घटनाओं से पता चलता है कि चूहों की समस्या शहर के कई हिस्सों में विकराल रूप ले चुकी है।
समस्या की जड़ पर प्रहार की तैयारी
शास्त्री ब्रिज पर सड़क की मरम्मत के साथ-साथ, प्रशासन ने अब समस्या को जड़ से खत्म करने की योजना बनाई है। अधिकारियों के अनुसार, केवल गड्ढा भरना एक स्थायी समाधान नहीं है। इसलिए, मरम्मत कार्य के दौरान ही गड्ढे के अंदर चूहों के बिलों और उनके पूरे नेटवर्क को नष्ट करने के लिए केमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चूहे दोबारा उस जगह को खोखला न कर सकें।
लगातार हो रही इन घटनाओं ने नगर निगम और संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। नागरिकों का कहना है कि समय रहते पेस्ट कंट्रोल और सफाई पर ध्यान दिया जाता तो ऐसी नौबत नहीं आती। अब देखना यह होगा कि प्रशासन का यह कदम कितना प्रभावी साबित होता है और शहर को चूहों के आतंक से कब तक मुक्ति मिलती है।