छिंदवाड़ा में ‘कंबल वाले बाबा’ के शिविर में उमड़ी हजारों की भीड़, हर बिमारी का इलाज करने वाला चमत्कारी कंबल 50 सालों से नहीं धुला

Kambal Wale Baba : मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इन दिनों ‘कंबल वाले बाबा’ का शिविर सुर्खियों में है। गणेश यादव नाम के यह बाबा दावा करते हैं कि वे अपने एक ‘चमत्कारी काले कंबल’ से किसी भी बीमारी को ठीक कर सकते हैं। इस दावे पर विश्वास कर हजारों की संख्या में लोग उनके शिविर में पहुंच रहे हैं, जिससे इलाके में व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं।

जिले के परासिया रोड पर स्थित यह शिविर आस्था और अंधविश्वास के एक बड़े केंद्र के रूप में उभरा है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार खुलासा हुआ है कि कंबल वाले बाबा का कंबल 50 सालों से नहीं धुला है। तो वहीं इस कंबल का चमत्कार देखने के लिए यहां न केवल मध्य प्रदेश से, बल्कि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग अपनी बीमारियों के इलाज की उम्मीद लेकर आ रहे हैं।

कौन हैं ‘कंबल वाले बाबा’?

स्थानीय तौर पर ‘कंबल वाले बाबा’ के नाम से मशहूर हुए शख्स का नाम गणेश यादव है। उनका दावा है कि उनके पास दैवीय शक्तियां हैं और उनका काला कंबल चमत्कारी है। बाबा के अनुसार, वे इस कंबल के जरिए लकवा, कैंसर, किडनी की समस्या और चल-फिर नहीं पाने वाले मरीजों को भी ठीक कर सकते हैं। इलाज की प्रक्रिया के तहत मरीजों को कुछ देर बिठाया जाता है और फिर उन पर कंबल डाला जाता है।

शिविर में अव्यवस्था और मीलों लंबा जाम

बाबा के दावों के बाद उनके शिविर में लोगों की भीड़ अनियंत्रित हो गई है। हर दिन हजारों की संख्या में वाहन पहुंच रहे हैं, जिससे छिंदवाड़ा-परासिया मार्ग पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग रहा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि लोगों को शिविर तक पहुंचने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।

शिविर में आने वाले लोगों के लिए न तो पर्याप्त सुविधाएं हैं और न ही कोई व्यवस्था। पीने के पानी, शौचालय और रुकने की जगह की कमी के कारण मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं।

आस्था के नाम पर जोखिम

शिविर में पहुंचे लोगों का कहना है कि वे डॉक्टरों से इलाज कराकर थक चुके हैं और अब उन्हें ‘बाबा’ से ही आखिरी उम्मीद है। लकवाग्रस्त मरीजों को उनके परिजन गोद में उठाकर या स्ट्रेचर पर लेकर आ रहे हैं। हालांकि, इन दावों की कोई वैज्ञानिक या चिकित्सकीय पुष्टि नहीं हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस तरह के आयोजनों को जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ मानते हैं।

प्रशासन के लिए यह आयोजन एक बड़ी चुनौती बन गया है। भारी भीड़ को नियंत्रित करने और ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। फिलहाल, यह शिविर आस्था, अंधविश्वास और अव्यवस्था के एक ऐसे संगम के रूप में चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां लोग इलाज की उम्मीद में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।