Indore News : मध्य प्रदेश में प्रभावशाली दिखने के लिए नेताओं की तस्वीरों के दुरुपयोग का चलन बढ़ता जा रहा है। हालिया मामले में इंदौर के महू में एक बिल्डर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक फर्जी तस्वीर बनवाकर उसे अखबारों में विज्ञापन के तौर पर प्रकाशित करवा दिया। इस कारनामे को अंजाम देने वाले बिल्डर का नाम मोहम्मद अनीश कुरैशी है, जो राया डेवलपर्स/राया रियलिटी नाम से रियल एस्टेट का कारोबार करता है।
अनीश ने अपने प्रोजेक्ट के विज्ञापन में एक तस्वीर इस्तेमाल की, जिसमें वह पीएम नरेंद्र मोदी को फूलों का गुलदस्ता देते हुए नजर आ रहा है। यह तस्वीर लोगों पर प्रभाव डालने और अपने प्रोजेक्ट को विश्वसनीय दिखाने के लिए इस्तेमाल की गई थी। हालांकि, जांच में यह तस्वीर पूरी तरह से फर्जी और एडिटेड पाई गई।
डिजिटल छेड़छाड़ से बदली असली तस्वीर
असल में यह तस्वीर हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और गोवा बीजेपी के अध्यक्ष दामू नाइक की मुलाकात की है। अनीश कुरैशी ने चालाकी से डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दामू नाइक की जगह खुद की तस्वीर लगा दी। इसके बाद इस फर्जी फोटो को देश के कई बड़े मीडिया समूहों को विज्ञापन के लिए भेज दिया गया, जिन्होंने बिना किसी जांच-पड़ताल के इसे प्रकाशित भी कर दिया।
नियमों का सरेआम उल्लंघन
प्रोटोकॉल के नियमों के अनुसार, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की तस्वीर का व्यावसायिक या निजी प्रचार के लिए बिना अनुमति इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है। बिल्डर अनीश कुरैशी ने न केवल नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ कर एक गंभीर अपराध भी किया है। हैरानी की बात ये है कि इस गंभीर मामले पर अब तक किसी भी सरकारी विभाग ने कोई संज्ञान नहीं लिया है।
पहले गैंगस्टर ने किया था CM की फोटो का इस्तेमाल
ये इस तरह का पहला मामला नहीं है। इससे पहले, 13 नवंबर को इंदौर के ही एक अपराधी हेमंत यादव ने अपने जन्मदिन के बधाई विज्ञापनों में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की तस्वीर का इस्तेमाल किया था। जेल में बंद गुंडे हेमंत यादव के पोस्टर में सीएम के अलावा कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक गोलू शुक्ला, रमेश मेंदोला और बीजेपी के कई अन्य स्थानीय नेताओं की तस्वीरें भी थीं।
हेमंत यादव पर अपहरण और जमीन विवाद में पिस्टल तानने जैसे कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन घटनाओं से साफ है कि असामाजिक तत्व और विवादित कारोबारी बिना किसी डर के सत्ताधारी नेताओं की तस्वीरों का गलत उपयोग किया जा रहा है।