इंदौर-मुंबई हाईवे: 106 करोड़ की सड़क पर जानलेवा गड्ढे, हाईकोर्ट ने NHAI से मांगा जवाब

इंदौर: मध्य प्रदेश को महाराष्ट्र से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण इंदौर-मुंबई नेशनल हाईवे (NH-3) की बदहाली का मामला अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। 106 करोड़ रुपये की लागत से बने बकानर-गणपति घाट सेक्शन पर कुछ ही महीनों में जानलेवा गड्ढे हो गए हैं, जिससे यह रास्ता हादसों का सबब बन गया है। इस मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) समेत अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

यह हाईवे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच व्यापार और आवागमन की एक प्रमुख धमनी है। हर दिन हजारों भारी और हल्के वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं। लेकिन सड़क की जर्जर हालत के कारण न केवल सफर में घंटों की देरी हो रही है, बल्कि यह जानलेवा भी साबित हो रहा है।

जानलेवा बना गणपति घाट का रास्ता

याचिका के अनुसार, बकानर से गणपति घाट के बीच लगभग 15 से 20 किलोमीटर का हिस्सा सबसे ज्यादा खराब है। सड़क पर इतने गहरे और बड़े गड्ढे हैं कि वाहन चालकों के लिए संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है। घाट सेक्शन होने के कारण यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है।

अक्सर इन गड्ढों के कारण वाहन खराब हो जाते हैं या दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं, जिससे घंटों तक लंबा जाम लग जाता है। स्थानीय लोगों और वाहन चालकों का कहना है कि यह सड़क अब ‘मौत का जाल’ बन चुकी है। हैरानी की बात यह है कि 106 करोड़ रुपये खर्च कर बनाई गई यह सड़क निर्माण के कुछ ही समय बाद इस हालत में पहुंच गई है।

हाईकोर्ट में याचिका, भ्रष्टाचार के आरोप

बड़वानी के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सिंह निषाद ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में NHAI, केंद्र सरकार और निर्माण करने वाली कंपनी को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही, निर्माण कंपनी और इस भ्रष्टाचार में शामिल NHAI के जिम्मेदार अधिकारियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए। याचिका में कहा गया है कि जब तक सड़क की पूरी तरह से मरम्मत नहीं हो जाती, तब तक टोल वसूली पर भी रोक लगाई जानी चाहिए।

कोर्ट ने मांगा जवाब

मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने NHAI, केंद्र सरकार और संबंधित निर्माण एजेंसी को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट की इस सख्ती के बाद उम्मीद है कि जल्द ही इस जर्जर सड़क की सुध ली जाएगी और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी। फिलहाल, इस महत्वपूर्ण मार्ग पर सफर करना जोखिम भरा बना हुआ है।