भोपाल: मध्य प्रदेश के शिक्षा जगत में एक बार फिर बड़े घोटाले की आहट है। राज्य में डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (D.El.Ed) कोर्स की सैकड़ों फर्जी मार्कशीट जारी करने का मामला सामने आया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इसकी जांच स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को सौंपने के आदेश जारी कर दिए हैं।
यह पूरा फर्जीवाड़ा अकादमिक सत्र 2020-21 और 2021-22 से जुड़ा है। शुरुआती जांच में करीब 700 ऐसी मार्कशीट मिली हैं, जिन पर संदेह है। आरोप है कि छात्रों को बिना कॉलेज गए और बिना परीक्षा दिए ही पैसे लेकर ये अंकसूचियां जारी की गईं। इस घोटाले में माध्यमिक शिक्षा मंडल के अधिकारियों और कई निजी D.El.Ed कॉलेजों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
जांच समिति की रिपोर्ट से असंतुष्ट थे मंत्री
सूत्रों के अनुसार, जब फर्जी मार्कशीट जारी करने की शिकायतें शिक्षा विभाग तक पहुंचीं, तो विभाग ने पहले अपने स्तर पर एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी, लेकिन शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार समिति के निष्कर्षों से संतुष्ट नहीं हुए। उन्हें लगा कि मामला कहीं ज्यादा बड़ा और गहरा है, जिसकी परतें खोलने के लिए एक विशेषज्ञ एजेंसी की जरूरत है। इसी के बाद उन्होंने पूरी जांच STF को सौंपने का फैसला किया।
कैसे होता था यह पूरा खेल?
जानकारी के मुताबिक, इस घोटाले का नेटवर्क काफी सुनियोजित तरीके से काम कर रहा था। इसमें निजी कॉलेज उन छात्रों के नाम पर एडमिशन दिखाते थे जो कभी क्लास करने नहीं आते थे। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर इन छात्रों की मार्कशीट तैयार करवा दी जाती थी। इसके लिए छात्रों से मोटी रकम वसूली जाती थी। STF की जांच अब इसी नेटवर्क को तोड़ने और इसमें शामिल हर छोटे-बड़े किरदार को बेनकाब करने पर केंद्रित होगी।
शिक्षा मंत्री का सख्त रुख
मामले पर शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस घोटाले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
“मामले की जांच STF को सौंप दी गई है। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा, चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।” — इंदर सिंह परमार, स्कूल शिक्षा मंत्री, मध्य प्रदेश
मंत्री के इस बयान से साफ है कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और आने वाले दिनों में कई बड़े अधिकारियों और कॉलेज संचालकों पर गाज गिर सकती है। STF की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे होने की उम्मीद है, जिससे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर हो सकती हैं। यह मामला एक बार फिर प्रदेश में हुए पुराने शिक्षा घोटालों की यादें ताजा कर रहा है।