NDA : बिहार की राजनीति एक बार फिर नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूम रही है। वे दसवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने की तैयारी कर रहे हैं, जो भारतीय राजनीति में एक असाधारण उपलब्धि है। अब तक नौ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर वे पहले ही एक रिकॉर्ड बना चुके हैं। इस नए कार्यकाल के साथ, वे अपने ही कीर्तिमान को और मज़बूत करेंगे।
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर गठबंधनों के बदलने और सत्ता के केंद्र में बने रहने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई बार पाला बदला है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन, दोनों के साथ मिलकर सरकारें बनाई हैं।
बार-बार मुख्यमंत्री, बदलते गठबंधन
नीतीश कुमार की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि वे हर राजनीतिक परिस्थिति में खुद को प्रासंगिक बनाए रखते हैं। चाहे वे एनडीए के साथ हों या महागठबंधन के, मुख्यमंत्री का चेहरा अक्सर वही रहते हैं। उनकी यह क्षमता उन्हें बिहार की राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण और स्थिर चेहरा बनाती है, भले ही उनके गठबंधन साझेदारी बदलते रहे हों।
उनका बार-बार शपथ लेना बिहार में राजनीतिक अस्थिरता का भी प्रतीक रहा है, लेकिन हर बार वे सत्ता में वापसी करने में कामयाब रहे हैं। यह उनकी राजनीतिक सूझबूझ और गठबंधन सहयोगियों को साधने की कला को दर्शाता है।
क्या टूटेगा सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड?
हालांकि नीतीश कुमार सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रिकॉर्ड बना सकते हैं, लेकिन सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अभी भी सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के नाम है। चामलिंग 24 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे थे। नीतीश कुमार का कुल कार्यकाल अभी इस आंकड़े से पीछे है।
फिर भी, दसवीं बार शपथ लेना अपने आप में एक मील का पत्थर है। यह दर्शाता है कि पिछले लगभग दो दशकों से बिहार की सत्ता की धुरी नीतीश कुमार ही रहे हैं। उनका अगला कार्यकाल राज्य की दिशा और राष्ट्रीय राजनीति पर उनके प्रभाव को और स्पष्ट करेगा।