इंदौर। शहर के यातायात को सुगम बनाने और उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियों के लिहाज से महत्वपूर्ण MR-11 सड़क का निर्माण टुकड़ों में किया जाएगा। इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) को 3.5 किलोमीटर लंबी इस सड़क के एक हिस्से के लिए भू-स्वामियों से सहमति मिल गई है, जबकि बाकी हिस्सों पर बातचीत अभी भी जारी है। भूमि अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया के कारण यह पूरी परियोजना अटकी हुई है।
यह सड़क सुपर कॉरिडोर को सीधे इंदौर-उज्जैन रोड से जोड़ेगी। इसके बनने से एयरपोर्ट और सुपर कॉरिडोर की ओर से आने वाले वाहनों को उज्जैन जाने के लिए शहर के भीतर दाखिल नहीं होना पड़ेगा। इससे न केवल यात्रा का समय बचेगा, बल्कि शहर की सड़कों पर यातायात का दबाव भी काफी कम होगा।
भूमि अधिग्रहण बनी सबसे बड़ी बाधा
MR-11 सड़क के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती भूमि अधिग्रहण है। सड़क के प्रस्तावित मार्ग में लगभग 40 से 50 किसानों और निजी भू-स्वामियों की जमीनें आ रही हैं। प्राधिकरण इन सभी से एक साथ समझौता नहीं कर पा रहा है, जिसके चलते सड़क का काम एक साथ शुरू होना संभव नहीं है। इसी वजह से IDA ने अब टुकड़ों में काम करने की रणनीति अपनाई है। जिस हिस्से के लिए सहमति बनती जा रही है, वहां निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी है।
1.25 किलोमीटर पर बनी सहमति
IDA अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने पुष्टि की है कि सड़क के 1.25 किलोमीटर हिस्से पर सहमति बन गई है। यह हिस्सा सुपर कॉरिडोर की तरफ से शुरू होता है। प्राधिकरण जल्द ही इस खंड पर निर्माण कार्य शुरू करेगा। इसके बाद के लगभग एक किलोमीटर के हिस्से के लिए भू-स्वामियों के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि इस पर भी जल्द ही समझौता हो जाएगा।
आखिरी हिस्से पर फंसा है पेंच
परियोजना में सबसे बड़ी रुकावट सड़क के आखिरी 1.25 किलोमीटर हिस्से में है, जो इंदौर-उज्जैन रोड से जुड़ता है। यहां के कुछ भू-स्वामी IDA के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हैं और बेहतर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। प्राधिकरण अधिकारियों के अनुसार, भू-स्वामियों को उनकी जमीन के बदले उसी क्षेत्र में विकसित प्लॉट देने का प्रस्ताव (लैंड पूलिंग) दिया गया है। कई लोग इस पर राजी हो गए हैं, लेकिन कुछ के अड़े रहने से मामला फंसा हुआ है।
सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए इस सड़क का निर्माण समय पर पूरा करना बेहद जरूरी है। यदि यह सड़क समय पर नहीं बनती है, तो सिंहस्थ के दौरान इंदौर पर यातायात का भारी दबाव पड़ सकता है। प्राधिकरण का प्रयास है कि बातचीत के जरिए जल्द से जल्द सभी बाधाओं को दूर कर निर्माण कार्य को गति दी जाए।