भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रविवार को क्षत्रिय करणी सेना के ‘स्वाभिमान मार्च’ के दौरान जमकर हंगामा हुआ। अपनी 22 सूत्रीय मांगों को लेकर हजारों की संख्या में कार्यकर्ता मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बोर्ड ऑफिस चौराहे पर ही रोक दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हल्की नोकझोंक भी हुई, जिसके बाद कार्यकर्ता सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।
करणी सेना की यह ‘स्वाभिमान पदयात्रा’ मैक्ट चौराहे से शुरू हुई थी। इसका मकसद मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपना था। लेकिन प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर रखे थे। बोर्ड ऑफिस चौराहे पर कई लेयर की बैरिकेडिंग की गई थी और भारी पुलिस बल तैनात था। जैसे ही मार्च वहां पहुंचा, पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
क्या हैं प्रमुख मांगें?
करणी सेना परिवार मुख्य रूप से 22 मांगों को लेकर यह आंदोलन कर रहा है। उनकी कुछ प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाए।
- SC/ST एक्ट में बिना जांच के गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए।
- पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त किया जाए।
- किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू हों।
- महापुरुषों और इतिहास के संरक्षण के लिए एक विशेष कानून बनाया जाए।
- गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए।
मुख्यमंत्री से मुलाकात पर अड़े प्रदर्शनकारी
पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद करणी सेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बोर्ड ऑफिस चौराहे पर ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक मुख्यमंत्री खुद आकर उनका ज्ञापन नहीं लेते, वे वहां से नहीं हटेंगे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। संगठन के नेताओं ने मंच से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेंगे।
इस प्रदर्शन के कारण बोर्ड ऑफिस चौराहे के आसपास का ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित हुआ। प्रशासन के अधिकारी लगातार प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर मामला सुलझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े रहे। देर शाम तक चौराहे पर तनाव की स्थिति बनी हुई थी और कार्यकर्ता धरने पर बैठे थे।