भोपाल. मध्य प्रदेश में बाघों, तेंदुओं और अन्य वन्यजीवों को जानलेवा कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (CDV) से बचाने के लिए वन विभाग ने एक बड़ी पहल की है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के निर्देशों के बाद, प्रदेश भर में 15 अक्टूबर से एक विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। इस अभियान के तहत टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यानों के आसपास के गांवों में मौजूद पालतू और आवारा कुत्तों को मुफ्त टीके लगाए जाएंगे।
यह महाअभियान 15 अक्टूबर से 15 नवंबर 2024 तक चलेगा। इसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों और कुत्तों के बीच वायरस के संक्रमण की कड़ी को तोड़ना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस कुत्तों से आसानी से बाघ और तेंदुए जैसे बड़े मांसाहारी जानवरों में फैल सकता है, जो अक्सर उनके लिए घातक साबित होता है।
क्या है कैनाइन डिस्टेंपर वायरस?
कैनाइन डिस्टेंपर एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से कुत्तों को प्रभावित करती है। लेकिन यह वायरस जंगली जानवरों जैसे बाघ, तेंदुए, भेड़िये, लोमड़ी और भालू के लिए भी जानलेवा है। यह वायरस जानवर के श्वसन, पाचन और तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। संक्रमित होने के बाद जानवर की मृत्यु दर काफी अधिक होती है और इसका कोई पुख्ता इलाज मौजूद नहीं है। टीकाकरण ही इससे बचाव का एकमात्र प्रभावी उपाय है।
अभियान का खाका और कार्ययोजना
यह अभियान वन विभाग और पशुपालन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाएगा। इसके तहत प्रदेश के सभी प्रमुख टाइगर रिजर्व जैसे कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा और संजय दुबरी के बफर जोन और कॉरिडोर से सटे गांवों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
कार्ययोजना के अनुसार, इन संरक्षित क्षेत्रों की सीमा से 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी गांवों के कुत्तों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए दोनों विभागों की टीमें मिलकर काम करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि कोई भी कुत्ता टीकाकरण से न छूटे। यह टीका पूरी तरह से निःशुल्क होगा।
अतीत की घटनाओं से लिया गया सबक
वन्यजीवों में कैनाइन डिस्टेंपर का खतरा कोई नया नहीं है। कुछ साल पहले गुजरात के गिर अभयारण्य में इसी वायरस के कारण कई एशियाई शेरों की मौत हो गई थी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के पन्ना और राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में भी बाघों में इसके संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए NTCA ने सभी टाइगर रेंज राज्यों को সতর্ক रहने और निवारक उपाय करने के लिए एडवाइजरी जारी की थी। मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण और सक्रिय पहल है, जिसका उद्देश्य भविष्य में किसी भी बड़ी अनहोनी को टालना है।
‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा रखने वाले मध्य प्रदेश के लिए यह अभियान अपने वन्यजीवों, विशेषकर बाघों की आबादी को सुरक्षित रखने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।