शेख हसीना के खिलाफ हेग में ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ की शिकायत, छात्र आंदोलन में सैकड़ों मौतों का आरोप

नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें सत्ता से हटने के बाद भी कम नहीं हो रही हैं। उनके खिलाफ नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ के लिए एक शिकायत दर्ज कराई गई है। यह मामला इसी साल जुलाई-अगस्त में हुए छात्र आंदोलन के दौरान सरकार की कथित क्रूर कार्रवाई से जुड़ा है।

यह शिकायत ब्रिटेन में रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों के एक समूह ने अपने वकील के माध्यम से दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि शेख हसीना के आदेश पर प्रदर्शनकारी छात्रों पर जानलेवा बल का प्रयोग किया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई और हजारों घायल हुए।

क्या हैं गंभीर आरोप?

शिकायत में कहा गया है कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों ने एक शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया था। लेकिन हसीना सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस और अपनी पार्टी के छात्र विंग ‘छात्र लीग’ का इस्तेमाल किया।

आरोपों के मुताबिक, सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर सीधे गोलियां चलाईं, जिससे 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा, 20,000 से ज्यादा लोग घायल हुए और 10,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। शिकायतकर्ताओं ने इसे ‘व्यापक और सुनियोजित हमला’ करार दिया है, जो मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में आता है।

वकील ने पेश किए सबूत

शिकायतकर्ता समूह का प्रतिनिधित्व ब्रिटिश बैरिस्टर राइस डेविस कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ICC के अभियोजक कार्यालय को हजारों वीडियो, तस्वीरें और दस्तावेजों के रूप में पुख्ता सबूत सौंपे गए हैं। डेविस के अनुसार, ये सबूत दिखाते हैं कि छात्रों पर अत्यधिक और गैर-कानूनी बल का प्रयोग किया गया था।

उन्होंने कहा, “हमारा मकसद पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। हमने जो सबूत दिए हैं, वे शेख हसीना और उनकी सरकार के शीर्ष अधिकारियों की भूमिका को स्पष्ट करते हैं।”

अब आगे क्या होगा?

यह शिकायत ICC के अभियोजक कार्यालय में प्रारंभिक समीक्षा के लिए जमा की गई है। अब अभियोजक करीम खान इस बात का मूल्यांकन करेंगे कि क्या इन आरोपों पर औपचारिक जांच शुरू करने के लिए पर्याप्त आधार है। अगर जांच शुरू होती है तो यह शेख हसीना के लिए एक बड़ी कानूनी चुनौती होगी।

गौरतलब है कि बांग्लादेश ICC के रोम संविधि का एक हस्ताक्षरकर्ता देश है, जिसके कारण अदालत को वहां हुए मानवता के विरुद्ध अपराधों पर सुनवाई का अधिकार है।

अगस्त में छोड़ना पड़ा था देश

बता दें कि कोटा सुधार आंदोलन ने बाद में एक बड़े सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया था। भारी जनविरोध के बीच शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और वह देश छोड़कर भारत आ गईं। उनके इस्तीफे के बाद से ही उनके कार्यकाल के दौरान हुई ज्यादतियों के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग उठ रही थी।