अयोध्या: राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। इसी साल 22 जनवरी को हुए भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अब मंदिर एक और ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, आगामी 25 नवंबर को मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज स्थापना से पहले ‘शिखर ध्वज पूजन’ का आयोजन किया जाएगा।
इस महत्वपूर्ण और भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की प्रबल संभावना है। यह आयोजन मंदिर निर्माण के एक प्रमुख चरण के पूरा होने का प्रतीक होगा।
भव्य आयोजन की तैयारियां जोरों पर
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए तैयारियों में जुट गया है। इस पूजन समारोह के लिए देश के कोने-कोने से प्रमुख संतों, धर्माचार्यों और विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं के गुरुओं को निमंत्रण भेजा जाएगा। प्रधानमंत्री और अन्य VVIP मेहमानों की उपस्थिति को देखते हुए अयोध्या में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए जाएंगे।
यह आयोजन उस वक्त हो रहा है जब मंदिर का मुख्य ढांचा लगभग बनकर तैयार हो चुका है। शिखर ध्वज पूजन के बाद मंदिर के शीर्ष पर केसरिया ध्वज फहराने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा, जो दूर से ही भक्तों को दिखाई देगा।
क्या है शिखर ध्वज पूजन का महत्व?
हिंदू मंदिर स्थापत्य परंपरा में ‘शिखर’ को देवालय का मस्तिष्क माना जाता है और ‘ध्वज’ उसकी कीर्ति का प्रतीक होता है। मंदिर के निर्माण के अंतिम चरण में शिखर पर कलश और ध्वज स्थापित करने से पहले एक विशेष वैदिक अनुष्ठान किया जाता है, जिसे ‘शिखर ध्वज पूजन’ कहते हैं।
यह पूजा मंदिर के पूर्ण रूप से जाग्रत और चैतन्य होने का प्रतीक है। यह इस बात का संकेत है कि मंदिर अब अपनी पूरी दिव्यता के साथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए तैयार है। इस पूजन के साथ ही मंदिर निर्माण का सबसे मुख्य और जटिल कार्य संपन्न मान लिया जाता है।
पूर्णता की ओर राम मंदिर परिसर
जनवरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही मंदिर के अन्य हिस्सों, जैसे कि प्रथम और द्वितीय तल तथा परकोटे (चारदीवारी) का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा था। शिखर का निर्माण पूरा होना इस प्रक्रिया में एक बड़ी उपलब्धि है।
इस पूजन के बाद ट्रस्ट का ध्यान मंदिर परिसर में बनने वाले अन्य यात्री सुविधाओं, संग्रहालय, शोध केंद्र और अन्य संरचनाओं के निर्माण पर केंद्रित होगा। ट्रस्ट का लक्ष्य पूरे 70 एकड़ के परिसर को जल्द से जल्द विकसित कर भक्तों को समर्पित करना है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है, और यह आयोजन इस उत्साह को और बढ़ाएगा।