ओंकारेश्वर में नहीं बनेगा ‘ममलेश्वर लोक’ प्रोजेक्ट निरस्त, साधु-संतों और स्थानीय लोगों में दिखी खुशी की लहर

Khandwa News : तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में प्रस्तावित ‘ममलेश्वर लोक’ परियोजना को लेकर चल रहे भारी विरोध के बाद सरकार ने इसे निरस्त करने का फैसला किया है। साधु-संतों, स्थानीय दुकानदारों और निवासियों के दो दिनों तक चले उग्र प्रदर्शन और शहर बंद के बाद प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा। इस फैसले के बाद दो दिनों से बंद पड़ी तीर्थनगरी में सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं।

यह निर्णय प्रदर्शनकारियों और जिला प्रशासन के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद लिया गया, जिसके बाद आंदोलनकारियों ने अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया।

क्यों हो रहा था परियोजना का विरोध?

प्रस्तावित ममलेश्वर लोक परियोजना का उद्देश्य ओंकारेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र का विकास और सौंदर्यीकरण करना था। हालांकि, स्थानीय लोगों और संत समाज ने इस योजना के प्रारूप पर गंभीर आपत्ति जताई थी। उनका आरोप था कि इस परियोजना के तहत सैकड़ों साल पुराने मठ, मंदिर, आश्रम और लगभग 300 दुकानों व मकानों को तोड़ा जाना था।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह परियोजना न केवल हजारों लोगों की आजीविका को प्रभावित करेगी, बल्कि इससे ओंकारेश्वर का पौराणिक और आध्यात्मिक स्वरूप भी नष्ट हो जाएगा। वे विकास के विरोधी नहीं थे, लेकिन वे चाहते थे कि यह विरासत और स्थानीय भावनाओं का सम्मान करते हुए किया जाए।

दो दिनों तक थम गई थी तीर्थनगरी

परियोजना के विरोध में ओंकारेश्वर के सभी संत समाज, पंडे-पुजारी, दुकानदार और नागरिक एकजुट हो गए थे। उन्होंने दो दिनों तक पूरी तीर्थनगरी को स्वतःस्फूर्त बंद रखा। इस दौरान सभी दुकानें, होटल और व्यावसायिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे, जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भी काफी असुविधा का सामना करना पड़ा।

प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण तरीके से भजन-कीर्तन करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया था। इस बंद का व्यापक असर देखने को मिला और प्रशासन पर दबाव बढ़ता गया।

आखिरकार प्रशासन को झुकना पड़ा

शहर में बढ़ते तनाव और व्यापक विरोध को देखते हुए, जिला प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। एक लंबी बैठक के बाद, अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को स्वीकार कर लिया और ममलेश्वर लोक के मौजूदा प्रस्ताव को पूरी तरह से निरस्त करने की घोषणा की।

प्रशासन ने आश्वासन दिया कि भविष्य में कोई भी विकास योजना स्थानीय लोगों, संत समाज और सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही तैयार की जाएगी। इस घोषणा के बाद प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन वापस ले लिया और शहर में खुशी का माहौल देखा गया। यह फैसला स्थानीय समुदाय की एकता की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।