Indore News : इंदौर में रियल एस्टेट सेक्टर का एक बड़ा प्रोजेक्ट अब कानूनी उलझनों में फंस गया है। हैदराबाद की रियल एस्टेट कंपनी एमपीएम होम्स डेवलपर्स का करीब 700 करोड़ रुपये का लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट विवादों के घेरे में है। जमीन विवाद, पर्यावरण मंजूरी के बिना निर्माण और जानकारी छिपाने के आरोपों के चलते राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (SEIAA) ने इस प्रोजेक्ट की जांच के आदेश जारी किए हैं।
बिना पर्यावरण मंजूरी के शुरू हुआ काम
इंदौर के बिचौली हप्सी इलाके में मैन रोड पर बन रहे इस हाईराइज प्रोजेक्ट को लेकर SEIAA की 897वीं बैठक में बड़ा निर्णय लिया गया। बैठक में अध्यक्ष शिव नारायण सिंह चौहान, सदस्य डॉ. सुनंदा सिंह रघुवंशी और सचिव दीपक आर्य शामिल थे। जांच के दौरान यह पाया गया कि बिल्डर ने पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance) प्राप्त किए बिना ही साइट पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
SEIAA ने इस गंभीर उल्लंघन पर नाराजगी जताते हुए इंदौर कलेक्टर को जांच रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रोजेक्ट डेवलपर एमपीएम होम्स को भी नोटिस जारी करने का निर्णय लिया गया है। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए पहले पर्यावरण मंजूरी लेना अनिवार्य है, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।
हैदराबाद की कंपनी का इंदौर में पहला प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट हैदराबाद की कंपनी मेसर्स एमपीएम होम्स डेवलपर्स का है। कंपनी के प्रमुख गिरीश मालपानी हैं, जो अपने साले प्रतीक माहेश्वरी (इंदौर के बैग्स कारोबारी) के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। प्रतीक की बहन और गिरीश की पत्नी श्रृति माहेश्वरी, उनकी मां अन्नपूर्णा माहेश्वरी और स्वयं गिरीश इस कंपनी के डायरेक्टर हैं। इंदौर में यह एमपीएम का पहला प्रोजेक्ट है, इसलिए इसका नाम ‘एमपीएम होम्स फर्स्ट’ रखा गया है।
700 करोड़ रुपये का हाईराइज प्रोजेक्ट
कंपनी इस प्रोजेक्ट को 6 एकड़ भूमि पर विकसित कर रही है। प्रस्तावित योजना के अनुसार यहां जी+12 मंजिला सात टावर बनाए जा रहे हैं, जिनमें 4 और 5 बीएचके के लग्जरी फ्लैट्स शामिल हैं। फ्लैट्स का आकार 2700, 4000 और 4600 वर्गफीट रखा गया है। कुल निर्माण क्षेत्र लगभग 10 लाख वर्गफीट है। प्रति वर्गफीट की कीमत 7000 रुपये तय की गई है, जिससे प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 700 करोड़ रुपये तक पहुंचती है। प्रति फ्लैट की अनुमानित कीमत 1.90 करोड़ से 3.20 करोड़ रुपये के बीच है।
जमीन सौदे पर भी विवाद
एमपीएम होम्स ने अप्रैल 2019 में बिचौली हप्सी क्षेत्र की 2.409 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। यह जमीन पटवारी हल्का नंबर 53 के सर्वे नंबर 447/2, 448/1/1/2, 448/1/2, 448/2/1/2, 453/1/1/3 और 453/1/1/2** में आती है। यह सौदा अमरजोत डेवलपर्स एंड फाइनेंस प्रा. लि. से 9.92 करोड़ रुपये में हुआ था। हालांकि कंपनी ने केवल 5.09 करोड़ रुपये का भुगतान किया और बाकी रकम पोस्ट-डेटेड चेक के माध्यम से देने की बात कही थी।
बाद में बाकी रकम का भुगतान नहीं हुआ, जिससे विवाद खड़ा हो गया। अमरजोत डेवलपर्स ने जिला कोर्ट में रजिस्ट्री निरस्त करने का केस दायर कर दिया। इसके बाद मामला आर्बिट्रेशन में चला गया, जहां दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गए।
मंजूरी प्रक्रिया में जानकारी छिपाने का आरोप
इस विवाद के बावजूद एमपीएम होम्स ने दिसंबर 2024 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) विभाग में नक्शा पास करवाने के लिए आवेदन दिया। विभाग ने 8 जनवरी 2025 को मंजूरी दे दी, जिसके बाद नगर निगम ने भवन अनुज्ञा जारी कर दी। मंजूरी के दौरान कंपनी ने एक शपथपत्र जमा किया, जिसमें कहा गया कि जमीन को लेकर कोई केस नहीं चल रहा है। जबकि वास्तविकता में कोर्ट में विवाद लंबित था। यह तथ्य छिपाने पर अब गंभीर सवाल उठे हैं।
आपत्तियां खारिज, लेकिन जांच जारी
8 जनवरी को टीएंडसीपी से नक्शा पास होने के बाद 16 जनवरी को इस पर आपत्ति भी उठाई गई। हालांकि अब तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इसी तरह नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा में भी आपत्तियां दर्ज की गई थीं, जिन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि जमीन विवाद उनकी अधिकार सीमा में नहीं आता। निगम ने कहा कि अगर टीएंडसीपी की मंजूरी रद्द होती है, तो वे कार्रवाई करेंगे। हालांकि निगम के नियमों के अनुसार, अगर किसी ने गलत जानकारी देकर अनुज्ञा ली हो, तो मंजूरी स्वतः रद्द मानी जाती है।
अब जांच के घेरे में पूरा प्रोजेक्ट
अब SEIAA की जांच के बाद यह प्रोजेक्ट और गहरी कानूनी जांच में फंस गया है। पर्यावरण मंजूरी के बिना काम शुरू करना, कोर्ट केस छिपाना और भुगतान विवाद—तीनों मुद्दों ने मिलकर इस हाई-वैल्यू प्रोजेक्ट को विवादों में डाल दिया है। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों और डेवलपर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इधर, खरीदारों और स्थानीय निवासियों में भी अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या बिना पर्यावरण मंजूरी और विवादित जमीन पर बना प्रोजेक्ट सुरक्षित है? अगर जांच में आरोप सही पाए गए, तो यह मामला इंदौर के रियल एस्टेट सेक्टर में एक बड़ी चेतावनी साबित हो सकता है।