इंदौर में भी नकली घी का बड़ा मामला हुआ उजागर, एक दुकान से 5 हजार लीटर घी जब्त, खुशबू के लिए केमिकल का करते थे उपयोग

तिरूपति बालाजी मंदिर में नकली घी से प्रसाद तैयार करने का मामला सामने आने के बाद, इंदौर में भी नकली घी का बड़ा मामला उजागर हुआ है। यहां नकली घी बनाने के लिए पाम ऑइल का इस्तेमाल किया जा रहा था। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने गुरुवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 5,500 लीटर नकली घी जब्त किया है। यह घी राजस्थान के बुंदी से मंगवाया जा रहा था और फिर इंदौर में उसे रीपैक कर बेचा जा रहा था, ताकि असली और नकली घी के बीच अंतर कर पाना मुश्किल हो। इस नकली घी को बाजार में असली घी के रूप में बेचा जा रहा था, जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।

इंदौर में नकली घी बनाने और बेचने का मामला गहराता जा रहा है, जहां आरोपियों ने बताया कि वे पिछले तीन महीनों में करीब 10,000 लीटर नकली घी शहर की दुकानों पर बेच चुके हैं। गुरुवार को खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा की गई यह कार्रवाई प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। एफडीए की टीम ने वीर सावरकर नगर स्थित “सन्नी इंटरप्राइजेस” पर छापा मारा, जहां से लगभग 5,500 लीटर नकली घी जब्त किया गया।

सन्नी इंटरप्राइजेस के संचालक सन्नी परमार के पास रिटेल और होलसेल का लाइसेंस था, लेकिन वह खुद को घी निर्माता बताकर नकली घी बेच रहा था। यह घी पाम ऑइल से बनाया जा रहा था और असली घी के रूप में दुकानों पर बेचा जा रहा था, जिससे उपभोक्ताओं को असली और नकली के बीच फर्क करना मुश्किल हो जाता था।

अधिकारियों के मुताबिक, जब पहली बार उन्होंने जांच की, तो उन्हें लगा कि यह केवल पाम ऑइल का मामला है, क्योंकि बिल पर भी यही उल्लेख था। लेकिन जब एक पैकेट खोला गया, तो उसमें देशी घी जैसी महक आई, जिससे शक हुआ। इसके बाद सख्ती से पूछताछ की गई और जांच में पाया गया कि मौके पर देवश्री मंगलश्री, देवश्री वेज फेट्स और देवश्री रामदेवम् नाम से पैक किए गए नकली घी के पैकेट मिले। इन नकली उत्पादों को असली घी के रूप में बाजार में बेचा जा रहा था, जिससे उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी हो रही थी।

जांच में खुलासा हुआ कि **सन्नी इंटरप्राइजेस** राजस्थान से नकली घी मंगाकर उसे इंदौर में रीपैक कर किराना दुकानों पर बेचता था। उनका मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानों पर था, क्योंकि वहां नकली घी को आसानी से बेचा जा सकता था। नकली घी को एक लीटर, 500 ग्राम, और 250 ग्राम की पैकिंग में तैयार कर बाजार में उतारा जाता था। थोक में इसे करीब 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा था, जो कि असली घी की तुलना में काफी सस्ता था, जिससे ग्राहक इसे असली समझकर खरीद लेते थे।

अधिकारियों के अनुसार, सन्नी इंटरप्राइजेस के संचालक ने यह स्वीकार किया है कि वह नकली घी राजस्थान के बुंदी से तैयार करवाकर ट्रांसपोर्ट के माध्यम से इंदौर मंगवाता था। जांच में यह भी पता चला कि जहां से यह नकली घी मंगवाया जा रहा था, उसके पास भी घी उत्पादन का कोई निर्माण लाइसेंस नहीं था। सन्नी इंटरप्राइजेस के स्थान पर लगे बोर्ड पर भी केवल वनस्पति तेल का होलसेलर और रिटेलर लिखा हुआ मिला, जिससे नकली घी के कारोबार को छिपाने की कोशिश की जा रही थी।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने हाल ही में एक हजार किलो से ज्यादा नकली घी जब्त किया था, जिसे **सांची** के नाम से रीपैक किया जा रहा था। मौके पर किए गए दस्तावेजों की जांच में यह बात भी सामने आई कि सन्नी इंटरप्राइजेस ने बिना जीएसटी के बिल बनाए थे। अधिकारियों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में करीब 10,000 लीटर नकली घी शहर और आसपास के क्षेत्रों में खपाया जा चुका है। यह स्थिति उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है, और एफडीए इस तरह के मामलों पर कड़ी नजर रख रहा है।

नकली घी को पाम, वनस्पति, और अन्य तेलों के मिश्रण से तैयार किया जाता था। इसमें देशी घी जैसी खुशबू लाने के लिए विशेष केमिकल मिलाए जाते थे, जिससे इसका स्वाद और खुशबू असली घी की तरह प्रतीत हो सके। इसके अलावा, आरोपियों ने आरएम वेल्यू (रिटेल मार्केट वेल्यू) को संतुलित करने के लिए एक फॉर्मूला भी तैयार कर लिया था, जिससे यह लैब परीक्षणों में आसानी से पकड़ा नहीं जा सके। इस प्रक्रिया ने नकली घी को बाजार में असली घी के रूप में बेचने में सहायता प्रदान की, जिससे उपभोक्ताओं को धोखा दिया जा रहा था।