इंदौर को फूड कैपिटल बनाने की दिशा में बड़ा कदम, जीडीपी दोगुनी करने और कनेक्टिविटी सुधारने सांसद लालवानी का रोडमैप तैयार

इंदौर से प्रतिदिन 100 टन नमकीन और खाद्य सामग्री का निर्यात इस शहर को देश ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर भी एक महत्वपूर्ण खाद्य केंद्र बनाता है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए सांसद शंकर लालवानी ने शहर को ‘फूड कैपिटल ऑफ इंडिया’ के रूप में विकसित करने की दिशा में गंभीर प्रयासों की बात कही। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में इंदौर को इस ख्याति तक पहुंचाना न केवल संभव है, बल्कि इसके लिए हर स्तर पर ठोस योजना बनाई जा रही है। यह घोषणा उन्होंने संस्था सेवा सुरभि द्वारा आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में विशेषज्ञों और उद्यमियों के समक्ष की।

रेल, सड़क और हवाई संपर्क को बढ़ावा देने पर जोर

सांसद लालवानी ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी शहर की आर्थिक प्रगति में कनेक्टिविटी की भूमिका अहम होती है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में इंदौर से छह दिशाओं में ट्रेन सेवाएं शुरू करने का लक्ष्य है, जिससे शहर की देश के अन्य हिस्सों से सीधी और तीव्र गति से जुड़ाव संभव होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जहां कभी दक्षिण भारत पहुंचने में 19-20 घंटे लगते थे, वह अब घटकर 10 घंटे तक रह जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सड़क और एयर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना, जीडीपी वृद्धि की दिशा में एक आवश्यक कदम होगा।

इंदौर की जीडीपी को दोगुना करने का रोडमैप प्रस्तुत

बैठक में सांसद ने 2030 तक इंदौर की जीडीपी दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर एक विस्तृत ब्लू प्रिंट पेश किया। उन्होंने कहा कि अगर सभी सेक्टर—जैसे कि उद्योग, कृषि, निर्माण और सेवा क्षेत्र—संगठित ढंग से काम करें तो यह लक्ष्य पूरी तरह से प्राप्त किया जा सकता है। कोविड के बाद इंदौर में अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की रुचि बढ़ी है, और इसकी वजह यहां की स्वच्छता, जलवायु और सामाजिक वातावरण है। लालवानी ने बताया कि वे लगातार विभिन्न वर्गों से रायशुमारी कर रहे हैं ताकि यह योजना व्यवहारिक और ठोस बनाई जा सके।

विशेषज्ञों ने दिए बहुमूल्य सुझाव, धार्मिक पर्यटन पर भी फोकस

बैठक में प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. जयंतीलाल भंडारी ने कहा कि इंदौर की वर्तमान जीडीपी बीते 11 वर्षों की मेहनत का परिणाम है। अगर सुनियोजित रणनीति अपनाई जाए तो आगामी 5 वर्षों में इसे दोगुना करना कोई असंभव कार्य नहीं है। वहीं, नरसीमुंजी विश्वविद्यालय से जुड़े निरंजन शास्त्री ने धार्मिक पर्यटन को एक बड़े आर्थिक संसाधन के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने ओंकारेश्वर और ममलेश्वर जैसे स्थलों को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नक्शे पर लाने की आवश्यकता जताई, जिससे शहर में रोजगार और व्यापार को नई दिशा मिल सकती है।

कपड़ा उद्योग, ब्रांडिंग और सुविधा आधारित विकास पर बल

बैठक में यह भी विचार किया गया कि इंदौर की ब्रांडिंग अब केवल ‘स्वच्छ शहर’ के रूप में नहीं, बल्कि एक ‘जीने योग्य, स्वास्थ्य सेवाओं से संपन्न और व्यापार-अनुकूल शहर’ के रूप में की जानी चाहिए। इसके तहत कपड़ा उद्योग को भी दोबारा गति देने की बात की गई। कारोबारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सही नीतियां अपनाई जाएं तो इंदौर उद्योग और व्यापार दोनों में राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल बन सकता है।

बैठक में शहर के प्रमुख उद्योगपतियों, संगठनों और विशेषज्ञों की भागीदारी

इस विशेष बैठक में इंदौर के उद्योग, व्यापार, समाज सेवा और शिक्षा से जुड़े कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित रहे। इनमें गौतम कोठारी (पीथमपुर औद्योगिक संगठन), संदीप जैन (मोयरा सरिया), सुमित सूरी (इंदौर होटल एसोसिएशन), अनुराग बोथरा (नमकीन विक्रेता संघ), विष्णु बिंदल, टीकमचंद गर्ग, राधेश्याम शर्मा, संजय अग्रवाल, अतुल शेठ, धर्मेंद्र जैन, अमित दवे आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। सभी ने अपने सुझाव दिए और जीडीपी दोगुनी करने की रणनीति में सहयोग का आश्वासन भी दिया।

सेवा सुरभि संस्था की भूमिका और आयोजन की गरिमा

इस प्रेरक आयोजन की मेजबानी संस्था सेवा सुरभि ने की, जिसमें ओमप्रकाश नरेड़ा, अनिल मंगल, कमल कलवानी, मनमोहन सिंह सहित कई समाजसेवियों ने मेहमानों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन सीए संतोष मुछाल ने प्रभावशाली ढंग से किया, और अंत में कुमार सिद्धार्थ ने आभार प्रदर्शन किया। बैठक में धार्मिक, सामाजिक और व्यापारी संगठनों से जुड़े अशोक बड़जात्या, हरि अग्रवाल, अजीत सिंह नारंग, अदनान राजा महिदपुरवाला आदि की भी उपस्थिति रही, जिन्होंने इस प्रयास को एक नई दिशा देने की बात कही।