इंदौर में लगेगा बंगाल के व्यंजनों का मेला, 12 से 14 सितंबर तक ‘द पार्क’ में फूड फेस्टिवल

भारत हमेशा से अपने विविध खानपान के लिए जाना जाता है। हर प्रदेश की थाली में सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि वहां की संस्कृति और परंपरा भी परोसी जाती है। हमारे यहाँ कहा भी जाता है कि दिल का रास्ता अक्सर पेट से होकर जाता है, और यही रास्ता हमें एक-दूसरे से जोड़ता है। इसी कड़ी में द पार्क इंदौर के रेस्टोरेंट एपिसेंटर में 12 से 14 सितंबर तक “फ्रॉम द रॉयल किचन ऑफ बंगाल” नाम से तीन दिवसीय फूड फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। इस फेस्टिवल में बंगाल की शाही रसोई से जुड़े पारंपरिक व्यंजन इंदौरवासियों को परोसे जाएंगे।

द पार्क इंदौर के एग्जेक्युटिव शेफ संतोष यादव ने बताया कि, “फेस्टिवल की खासियत है कि हर दिन का मेन्यू अलग होगा। पहले दिन स्टार्टर में पनीर लहसूनी टिक्का, टंगड़ा चिली पनीर, कटला कटलेट और ग्रिल्ड चिकन जैसे आइटम्स रहेंगे, सूप में मंचाउ वेज और पाया शोरबा, मेन कोर्स में छोलेर दाल, बसंती पुलाव, कोलकाता बिरयानी, गोलबारिर कोषा मंगशो व डिम कोशा, वहीं मिठाइयों में गुरेर पायेश, खीर कदम और ओपेरा मूस मिलेंगे। दूसरे दिन पनीर करी लीफ, कसुंदी फिश टिक्का और अफगानी चिकन कटलेट जैसे स्टार्टर, सूप में टमाटर-धनिया और मीटबॉल सूप, मुख्य व्यंजनों में काजू किशमिश पुलाव, कोलकाता मटन बिरयानी, कोची पाथार झोल व डोई कटला, और डेज़र्ट में भापा डोई, सोंदेश व राजभोग परोसे जाएंगे। तीसरे दिन स्टार्टर में दही के शोले, कसुंदी पनीर टिक्का, बंगाली फिश फ्राई और निज़ामी मुर्ग मलाई टिक्का होंगे, सूप में हॉट एंड सॉर व मुरग बादामी शोरबा, मेन कोर्स में घी भात, पनीर रिज़ाला, गंधराज बिरयानी, मटन रिज़ाला व शोरषे माछ, और मिठाइयों में मालपुआ, अंजीर रोल व चुरोज़ जैसी डिशेस मिलेंगी।”

द पार्क इंदौर के फ़ूड एंड बेवरेज डायरेक्टर संदीप कांजीलाल ने कहा कि, इस फेस्टिवल का उद्देश्य सिर्फ व्यंजन परोसना नहीं है, बल्कि इंदौर के लोगों को बंगाल की असली पाक परंपरा से परिचित कराना है। उनका मानना है कि हर डिश के पीछे एक कहानी और इतिहास छिपा होता है, जो पीढ़ियों से स्वाद के साथ आगे बढ़ता आया है। इसी वजह से इस आयोजन में कोशिश की गई है कि मेहमानों को सिर्फ ज़ुबान पर नहीं, बल्कि पूरे अनुभव में बंगाल की संस्कृति का जायका मिले—चाहे वह मसालों की खुशबू हो, पकाने का अंदाज़ हो या फिर मिठाई की परंपरा। होटल का वातावरण और सजावट भी इसी भावना को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, ताकि मेहमानों को लगे मानो वे इंदौर में बैठकर बंगाल की रसोई तक पहुंच गए हों।