पूर्व कुलपति नरेंद्र धाकड़ और बेटे के बीच बढ़ा पारिवारिक विवाद, CCTV फुटेज से सामने आया नया मोड़

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ और उनके बेटे अमित धाकड़ के बीच चल रहा पारिवारिक विवाद अब और गहराता जा रहा है। मंगलवार को यह मामला तब सुर्खियों में आया जब डॉ. धाकड़ अपनी पत्नी अंजना धाकड़ के साथ जनसुनवाई में पहुंचे और बेटे-बहू पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि उनका बेटा और बहू उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। वहीं, अब इस मामले में बेटे की ओर से दी गई सफाई के बाद विवाद ने नया मोड़ ले लिया है।

बेटे ने लगाए पिता पर आरोप, पेश किए सीसीटीवी फुटेज

अपर कलेक्टर रोशन राय द्वारा जांच के लिए बुलाए जाने पर बेटे अमित धाकड़, जो एक उद्योगपति हैं, ने अपनी तरफ से जवाब पेश किया। उन्होंने दावा किया कि असल में पिता ही घर में तनाव का कारण बनते हैं। अमित के अनुसार, डॉ. धाकड़ अपनी पोतियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और उनके जीवन में अनावश्यक दखल देते हैं।

अमित ने अपर कलेक्टर के समक्ष घर में लगे सीसीटीवी फुटेज भी दिखाए, जिनसे उन्होंने अपने पक्ष को साबित करने की कोशिश की। उनका कहना था कि पिता द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं और उन्होंने कभी भी उन्हें कमरे में बंद नहीं किया या मारपीट नहीं की।

पूर्व कुलपति के आरोप – “बेटा-बहू करते हैं प्रताड़ित, संपत्ति हड़पने की कोशिश”

इससे पहले पूर्व कुलपति प्रो. नरेंद्र धाकड़ ने कलेक्टर शिवम वर्मा के समक्ष जनसुनवाई में बेटे अमित धाकड़ और बहू दीप्ति धाकड़ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

उन्होंने आरोप लगाया था कि बेटा संपत्ति को लेकर उन्हें और उनकी पत्नी को लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है। शिकायत में उन्होंने कहा कि बेटे ने उनका मोबाइल छीन लिया, कमरे में बंद किया, और कॉलेज व जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश की है।

डॉ. धाकड़ ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2006 में अथक परिश्रम से ‘जैन दिवाकर कॉलेज’ की स्थापना की थी, जिस पर अब उनका बेटा नियंत्रण चाहता है। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि बेटे-बहू ने धोखे से ग्राम खत्रीखेड़ी (तहसील कनाड़िया, इंदौर) स्थित उनकी 15980 वर्ग फीट जमीन (सर्वे नं. 16/2) को दान पत्र के माध्यम से अपने नाम दर्ज करवा लिया।

मनोरोगी डॉक्टर से साजिश का भी आरोप

पूर्व कुलपति ने यह भी दावा किया कि बेटा और बहू एक मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर उन्हें मानसिक रूप से अस्थिर साबित करने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जबरन मनोरोग की दवाइयां दी जा रही हैं ताकि वे समाज में “पागल” साबित किए जा सकें।

प्रशासन ने दिया निष्पक्ष जांच का आश्वासन

मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर शिवम वर्मा ने तत्काल जांच के आदेश दिए। अपर कलेक्टर रोशन राय ने दोनों पक्षों को बुलाकर विस्तृत चर्चा की और कहा कि यह विवाद पूरी तरह से दोनों पक्षों के बीच का पारिवारिक मामला है। उन्होंने बताया कि पूर्व कुलपति को मोबाइल वापस दिलवा दिया गया है।

हालांकि, मारपीट, संपत्ति विवाद और धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतें पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। इसलिए, यह आवेदन आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस को भेजा जाएगा।

अपर कलेक्टर राय ने दोनों पक्षों को आपसी सम्मान बनाए रखने और परिवार में बैठकर बातचीत के जरिए समाधान निकालने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई अन्य मामला या आपराधिक पहलू सामने आता है, तो दोनों पक्षों को इसके लिए सीधे पुलिस में आवेदन करना होगा।