मध्यप्रदेश के इंदौर से कुल 50 किलोमीटर की दुरी पर,मालवा पठार स्थित एक ऐसा दरवाजा जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह गेट एक दर्शनीय स्थल तो है ही साथ ही ये इतिहास की कई कहानियों का साक्षी भी रहा है।यह ऐतिहासिक दरवाज़ा देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनवाया गया था।यह मार्ग महेश्वर को इंदौर से जोड़ता है, बता दे की दोनों ही नगर होलकर रियासत की राजधानी रहे हैं और जाम गेट इन दो नगरों को जोड़ने वाले सुन्दर द्वार है। यह दरवाज़ा इस तरह बनाया गया था कि दोनों ओर नजर रखी जा सके।
आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य
जाम गेट से कुछ ही दूरी पर पहाड़ियों के बीच प्राचीन पार्वती माता का मंदिर स्थित है। यह मंदिर महू-मंडलेश्वर मार्ग पर स्थित है,जो कि इंदौर से लगभग 50 किलोमीटर कि दुरी पर है। यह विंध्याचल पर्वत के घने जंगलों में 3000 फीट ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ माता पार्वती की अष्टभुजाधारी प्रतिमा विराजमान है। स्कंद पुराण कि माने तो, इस प्रतिमा की स्थापना राजा इंद्र ने की थी। इस मंदिर में माता की महिषासुर मर्दिनी रूप में पूजा की जाती है।
प्राकृतिक दृश्य
जाम गेट और मंदिर से विंध्याचल की पहाड़ियाँ और घाटी का दृश्य बेहद मनमोहक दिखाई देता है। बरसात के मौसम में पूरे मार्ग पर छोटे-छोटे झरने दिखाई देते है और यात्रा को और भी रोमांचक बना देते हैं।जाम गेट केवल एक दरवाज़ा नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति, आध्यात्म और प्रकृति का अदभुत संगम है।