लालबाग मे सजा लोक संस्कृति का महासंगम – मालवा उत्सव का आगाज

इंदौर का ऐतिहासिक लालबाग परिसर एक बार फिर रंग-बिरंगे परिधानों, थिरकते कदमों और पारंपरिक लोक धुनों से गूंज उठेगा, क्योंकि 8 मई से शुरू हो रहा है ‘मालवा उत्सव’ – एक ऐसा महाकुंभ जहां जनजातीय नृत्य, लोककला, हस्तशिल्प और स्वादिष्ट व्यंजन मिलकर रचेंगे सांस्कृतिक जादू।

450 लोक कलाकार, 350 शिल्पकार शामिल
लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं इंदौर के लोकप्रिय सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इस प्रतिष्ठित लोकोत्सव ने न केवल मालवा की पहचान को देश-विदेश तक पहुंचाया है, बल्कि इंदौर को लोक कला के मानचित्र पर चमकता सितारा बना दिया है। 8 से 14 मई तक चलने वाले इस उत्सव में देशभर से 450 से अधिक लोक कलाकार और 350 शिल्पकार हिस्सा लेंगे।

पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर बना मंच
इस बार उत्सव का मुख्य मंच नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर की भव्यता से प्रेरित है। 100×80 फीट के मंच पर बना यह मंदिरनुमा मंच अपने 40 फीट ऊंचे शिखर, झरोखों और लहराते ध्वज के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। दोनों ओर बने छोटे-छोटे पगोड़े इस भव्य मंच को और भी दर्शनीय बना रहे हैं।

भारत की विविधता एक स्थान पर
लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा एवं पवन शर्मा ने बताया कि इस वर्ष का शिल्प मेला भी विशेष आकर्षण होगा। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, नागालैंड, मिजोरम, पंजाब जैसे राज्यों के 350 से अधिक शिल्पकार अपने अद्भुत शिल्प जैसे मिट्टी कला, टेराकोटा, पीतल शिल्प, केन फर्नीचर, गलीचा शिल्प आदि लेकर आएंगे।

स्वाद के शौकीनों के लिए स्वर्ग जैसा अनुभव
मालवा के पारंपरिक व्यंजनों के साथ-साथ गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर भारत और दक्षिण भारतीय खास पकवानों का भी आनंद यहां मिलेगा। इंदौर के फूड लवर्स के लिए यह उत्सव एक जायकेदार सौगात होगा।

हर शाम रंगों और रागों से सजेगी मंच की छटा
लालबाग में प्रतिदिन शाम 4 बजे से उत्सव के द्वार खुलेंगे, और 7 बजे से शुरू होगी लोक नृत्यों की झलकियों से सजी संध्या, जो दर्शकों को भारत की सांस्कृतिक विविधता से रूबरू कराएगी।

आयोजन की सफलता में जुटी अनुभवी टीम
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए कंचन गिद्वानी, मुद्रा शास्त्री, विशाल गिद्वानी, संकल्प वर्मा, संध्या यादव, सहित कई अनुभवी लोगों की समितियां गठित की गई हैं जो विभिन्न व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संभालेंगी।