मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा अनूठा दृश्य सामने आने जा रहा है, जब आजादी के बाद पहली बार इंदौर के 200 साल पुराने राजवाड़ा के दरबार हॉल में राज्य कैबिनेट की बैठक होगी। यह आयोजन सिर्फ एक सामान्य बैठक नहीं बल्कि संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ा एक ऐतिहासिक पल बनने जा रहा है। दरबार हॉल को ठीक वैसे ही सजाया जा रहा है जैसे होलकर रियासत के जमाने में सजता था। इस बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनके मंत्रीमंडल के सदस्य कुर्सियों पर नहीं, बल्कि पारंपरिक पटियों और गद्दों पर बैठेंगे, ठीक वैसे ही जैसे कभी राजे-महाराजे बैठा करते थे।
इस बैठक की खास बात यह है कि यह उसी गणेश हॉल में आयोजित हो रही है, जहां अंतिम बार 1945 में दरबार सजा था। उस समय होलकर सरकार के अहम निर्णय यहीं लिए जाते थे। अब करीब 80 साल बाद एक बार फिर वही राजसी माहौल जीवंत होने जा रहा है। बैठक में पारंपरिक “लोट” (जलपात्र) भी रखे जाएंगे, जिन पर सिंह की आकृति उकेरी गई होती है – यह भी रियासतकालीन परंपरा का हिस्सा था।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मंत्रीगण सोमवार शाम इंदौर पहुंच चुके हैं। पहले वे लता मंगेशकर सभागृह में आयोजित नाटक में हिस्सा लेंगे, जो मां अहिल्या के जीवन प्रसंगों पर आधारित होगा। इसके बाद वे इंदौर की प्रसिद्ध सराफा चौपाटी जाकर स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी लेंगे।
इस ऐतिहासिक बैठक को खास बनाने के लिए मेहमानों के लिए शाही भोजन की भी पूरी व्यवस्था की गई है। नाश्ते में इंदौर की पहचान पोहा-जलेबी के साथ खमण, जोधपुरी कोफ्ता, रोस्टेड ड्राय फ्रूट्स, कुकीज़, नींबू जल, ग्रीन टी और फलों की प्लेट परोसी जाएगी। बैठक के बाद भव्य दावत में झोलिया, मसाला छाछ, मालवी लड्डू, बादाम चूरमा, आम रबड़ी, केसर श्रीखंड, शाही दही बड़ा और इंदौरी हींग दाल कचौरी जैसे विशेष व्यंजन होंगे। मुख्य भोजन में दाल, मालवी कढ़ी, शाही पनीर, स्टफ टिंडे, इंदौरी स्पेशल रामभाजी, भिंडी फ्राई, चावल, प्लेन बाटी, तवा रोटी, ज्वार रोटी, टिक्कड़, नमकीन पूड़ी और मीठे में केसर पिस्ता व रोज फ्लेवर वाली कुल्फी शामिल है।
इस तरह राजवाड़ा सिर्फ एक कैबिनेट मीटिंग का स्थान नहीं बल्कि सांस्कृतिक गौरव और ऐतिहासिक स्मृतियों का जीवंत साक्षी बनने जा रहा है। यह आयोजन मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक अनूठा और प्रेरणादायक प्रयास है।