रसोई गैस सिलेंडर की कालाबाजारी रोकने के लिए एक नई व्यवस्था शुरू, अब बताना होगा डिलीवरी कोड, सिम बदलने वालों को होगी परेशानी

एलपीजी की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है। यह कदम उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है, जिससे उन्हें गैस की उचित मात्रा और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। यह व्यवस्था जल्द ही अनिवार्य होने वाली है, और इसके तहत हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने एक एडवाइजरी जारी की है।

1. डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (DAC): जब भी गैस सिलेंडर की डिलीवरी होती है, उपभोक्ता के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (DAC) भेजा जाएगा।

2. कोड की अनिवार्यता: उपभोक्ताओं को डिलीवरी मैन को यह कोड प्रदान करना होगा। केवल इसी स्थिति में उन्हें गैस सिलेंडर की डिलीवरी दी जाएगी।

3. कालाबाजारी पर रोक: इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एलपीजी सिलेंडरों की कालाबाजारी पर नकेल कसना है, जिससे उपभोक्ता को सही और सुनिश्चित सेवा मिले।

इस नई प्रक्रिया के कुछ महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:

1. कालाबाजारी और ब्लैकमेलिंग पर रोक: इस व्यवस्था के लागू होने से गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी और उपभोक्ताओं के साथ ब्लैकमेलिंग की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाने में मदद मिलेगी।

2. सिम बदलने वाले उपभोक्ता: जो उपभोक्ता बार-बार सिम बदलते हैं, उन्हें गैस सिलेंडर की डिलीवरी प्राप्त करने में दिक्कत हो सकती है, क्योंकि डीएसी केवल पंजीकृत नंबर पर भेजा जाएगा।

3. सुरक्षा और पारदर्शिता: इस उपाय का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की सुरक्षा को बढ़ाना और डिलीवरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है, जिससे वे सही समय पर और उचित मात्रा में गैस प्राप्त कर सकें।

यह कदम उपभोक्ताओं के हित में उठाया गया है, और इसे लागू करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।

गैस एजेंसी के संचालक के अनुसार, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने ग्राहकों की सुविधा के मद्देनजर नई एडवाइजरी जारी की है। यह नई व्यवस्था एक नवंबर से लागू होगी। इसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

1. डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डीएसी): उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर की डिलीवरी के लिए पंजीकृत नंबर पर प्राप्त होने वाले डीएसी को डिलीवरी मैन को प्रदान करना होगा।

2. ऑनलाइन फ्रॉड से सावधानी: उपभोक्ताओं को सलाह दी गई है कि यदि कोई अनजान व्यक्ति गैस डिलीवरी नंबर जुड़वाने के लिए ओटीपी मांगता है, तो उन्हें ओटीपी न देने की चेतावनी दी गई है।

3. समस्या की स्थिति में संपर्क: यदि किसी उपभोक्ता को इस प्रक्रिया में कोई समस्या आती है, तो उन्हें अपने नजदीकी गैस एजेंसी या जिला आपूर्ति कार्यालय से संपर्क करने की सलाह दी गई है।

इस नई व्यवस्था का उद्देश्य उपभोक्ताओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और गैस डिलीवरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है।

नए सिस्टम का काम करने का तरीका इस प्रकार है:

1. डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डीएसी): जब उपभोक्ता सिलेंडर की होम डिलीवरी के लिए ऑर्डर करेंगे, तो गैस एजेंसी उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डीएसी) भेजेगी।

2. कोड की आवश्यकता: उपभोक्ता को यह कोड डिलीवरी मैन को दिखाना होगा।

3. डिलीवरी की प्रक्रिया: डिलीवरी मैन केवल तभी सिलेंडर देंगे जब उपभोक्ता द्वारा दिखाया गया कोड सही होगा।

4. ओटीपी के बिना डिलीवरी नहीं: यदि उपभोक्ता के पास डीएसी नहीं है या वे कोड प्रदान नहीं करते हैं, तो सिलेंडर की डिलीवरी पूरी नहीं होगी।

इस प्रक्रिया का उद्देश्य गैस सिलेंडर की कालाबाजारी और धोखाधड़ी को रोकना है, साथ ही उपभोक्ताओं की सुरक्षा को बढ़ाना है।

नई सिलेंडर डिलीवरी पॉलिसी के तहत उपभोक्ताओं के लिए पता और मोबाइल नंबर अपडेट कराना अनिवार्य होगा। यदि उपभोक्ताओं के विवरण सही नहीं हैं, तो उनकी सिलेंडर डिलीवरी में दिक्कत हो सकती है।

मुख्य बिंदु:

1. अपडेट करना अनिवार्य: उपभोक्ताओं को अपने नाम, पता और मोबाइल नंबर को अपडेट कराना आवश्यक होगा।

2. गलत जानकारी का प्रभाव: गलत जानकारी के कारण सिलेंडर की डिलीवरी रोकी जा सकती है।

3. सामान्य उपयोगकर्ताओं के लिए: यह नियम केवल घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लागू होगा, जबकि कमर्शियल सिलेंडर पर यह लागू नहीं होगा।

सलाह:

आईल कंपनियों ने सभी ग्राहकों को सलाह दी है कि वे अपने विवरण अपडेट कर लें ताकि किसी प्रकार की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।