टेक्नोलॉजी और इंटरनेट के इस दौर में AI हमारे दिनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है। ऐसे कई कम्पनीज AI पर लगातार काम कर रही है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस LSE के जेरेमी कॉलर एक ऐसे सेंटर की शुरुआत करने जा रहे है जिसमे आप अपने पेट्स से बात कर पाएंगे। यह एक रिसर्च सेंटर जहा जानवरो के एक्शन्स की स्टडी करने के साथ – साथ उनसे कम्यूनिकेट करने की कोशिश करेगा है।
40 लाख पाउंड की लागत से बनाया जायेगा ये सेंटर
AI फ़ोन , लैपटॉप और हेडफोन्स तक सिमित नहीं है। AI का इस्तेमाल अब पालतू जानवरो से बात करने के लिए भी किया जाएगा। द गार्जियन की माने तो इस सेंटर को 40 लाख पाउंड की लागत से बनाया जायेगा । इस सेंटर का उद्देश्य है की AI की मदद से जानवरो के एक्शन्स का अधययन करके , जानवरो और इंसानो के बीच एक कम्युनिकेशन गैप को फिल करना है।
इस सेंटर में रिसर्चर्स ऐसा टूल बनाकर तैयार करेंगे जो जानवरो के एक्शन्स को समझकर इंसानो से संचार करने की कोशिश करेगा। ये स्टडी कुत्तों, बिल्लियों से लेकर कीड़ों, केकड़ों और कटलफिश आदि जैसे जानवरों पर की जाएगी। इस सेंटर में AI से लेकर पशु चिकित्सा विज्ञान, एक साथ काम करेंगे।
डायरेक्टर प्रोफोसर जोनाथन बिर्च ने कहा
सेंटर के डायरेक्टर प्रोफोसर जोनाथन बिर्च का कहना है की वे चाहते है कि हमारे पालतू जानवर मानवीय गुण को दर्शाएं या दिखाएं। AI के आने के साथ आपके पालतू जानवर के आपसे बात करने के तरीके अलग स्तर पर पहुंच जाएंगे।
AI के उपयोग पर उन्होने चिंता जताते हुए कहा कि AI अक्सर बनावटी रिस्पॉन्स तैयार करता है जो यूजर्स की वास्तविकता पर आधारित न होकर मानव को संतुष्ट करता हैं।
साथ ही बिर्च ने कहा कि पालतू जानवरो को लंबे समय तक अकेले छोड़ने पर जानवरो को कई भी तकलीफो का सामना करना पढ़ता। जिससे मालिक थोड़े चिंतित रहते है पर अब अगर ऐसा टूल डेवेलप हो जाता है जो जानवरो से कम्युनिक्टे करले तो मालिकों की चिंता काफी हद तक कम हो जाएगी। लेकिन बिर्च ने बताया की AI जानवरो से सटीक्ता से बात कर का पाना थोड़ा मुश्किल है।एसे मे AI पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है .