मध्यप्रदेश की राजनीति में मार्च 2020 का घटनाक्रम एक बार फिर चर्चा में है। उस समय कमलनाथ के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार अचानक गिर गई थी। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक इंटरव्यू ने इस घटना के पुराने जख्म ताजा कर दिए। उन्होंने खुलासा किया कि सरकार बचाने की कोशिश में दिल्ली में एक बड़े उद्योगपति के घर पर महत्वपूर्ण बैठक हुई थी।
दिग्विजय सिंह का बयान
दिग्विजय सिंह ने बताया कि उस समय यह प्रचारित किया गया कि सरकार गिरने का कारण सिर्फ कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की आपसी लड़ाई थी। लेकिन उनके अनुसार यह पूरी सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही आशंका जताई थी कि अगर दोनों नेताओं के बीच विवाद सुलझा नहीं तो सरकार खतरे में पड़ सकती है। इसी वजह से उन्होंने एक बड़े उद्योगपति से मदद मांगी, जिनके कमलनाथ और सिंधिया दोनों से अच्छे संबंध थे।
डिनर डिप्लोमेसी की कोशिश
दिग्विजय सिंह के मुताबिक, उस उद्योगपति ने दिल्ली स्थित अपने घर पर डिनर का आयोजन किया और इसमें कमलनाथ, सिंधिया व दिग्विजय सिंह शामिल हुए। बैठक में तमाम मुद्दों पर बातचीत हुई और समस्याओं की एक सूची भी बनाई गई। हालांकि, यह प्रयास भी सरकार को बचा नहीं पाया। दिग्विजय ने स्पष्ट किया कि सिंधिया और उनके बीच कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं था, लेकिन हालात ऐसे बने कि सरकार नहीं टिक सकी।
कमलनाथ का पलटवार
दिग्विजय सिंह के बयान के बाद राजनीतिक हलचल मच गई। इस पर कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुरानी बातों को उखाड़ने से कोई लाभ नहीं है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सच यह है कि सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी के चलते उन्होंने कांग्रेस विधायकों को तोड़कर भाजपा का साथ दिया और सरकार गिर गई।
किसके घर हुई थी बैठक?
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार यह बैठक फरवरी 2020 में एचटी मीडिया की चेयरपर्सन शोभना भरतिया के घर हुई थी। शोभना भरतिया न सिर्फ कांग्रेस के करीबी रही हैं, बल्कि कमलनाथ और सिंधिया परिवार दोनों से गहरे संबंध रखती हैं। वह 2006 से 2012 तक कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं। उनके पति श्याम सुंदर भरतिया, जुबिलेंट लाइफसाइंसेज लिमिटेड के चेयरमैन हैं।
क्यों बढ़ा विवाद?
दरअसल, लोकसभा चुनाव में सिंधिया की हार के बाद उनका गुस्सा और असंतोष बढ़ गया था। वे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अपने प्रभाव के मुताबिक फैसले चाहते थे। राजस्व विभाग से जुड़ी जमीन का मुद्दा और मंत्रियों की नियुक्तियों पर भी मतभेद बढ़ गए। जनवरी 2020 की समन्वय समिति की बैठक में विवाद खुलकर सामने आया जब सिंधिया नाराज होकर बाहर चले गए।
सरकार बचाने की आखिरी कोशिश
इन्हीं हालातों के बीच दिग्विजय सिंह ने शोभना भरतिया से संपर्क कर बैठक बुलाने का आग्रह किया। बैठक में सिंधिया ने अपनी मांगें रखीं – ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में उनकी बात मानी जाए, उनके कोटे के मंत्रियों को स्वतंत्र निर्णय का अधिकार मिले और विवादित जमीन का मसला सुलझाया जाए। दिग्विजय सिंह ने तो यहां तक कहा कि निगम-मंडलों में भी सिंधिया के लोगों को जगह दी जा सकती है। हालांकि, इन मांगों पर अमल नहीं हुआ और जल्द ही सिंधिया भाजपा के संपर्क में आ गए। नतीजतन, मार्च 2020 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई।