बिहार के खगड़िया में अजीबो-गरीब आवेदन मामला, राम-सीता और कौआ तक ने मांगा निवास प्रमाण-पत्र

बिहार के खगड़िया ज़िले में डिजिटल प्रक्रिया का मखौल उड़ाने वाला एक बेहद अजीब मामला सामने आया है। चौथम, गोगरी और खगड़िया अंचल में ऑनलाइन माध्यम से आवासीय प्रमाण-पत्र (Residential Certificate) के लिए कुछ ऐसे नामों से आवेदन आए हैं जो किसी मज़ाक से कम नहीं हैं। भगवान श्रीराम, माता सीता, कौआ, मैना जैसे काल्पनिक और पशु-पक्षियों के नाम पर आरटीपीएस पोर्टल पर आवेदन किए गए हैं। यहां तक कि कुछ फॉर्म्स में “ए”, “बी”, “सी”, “डी” जैसे अक्षरों को ही नाम बनाकर अपलोड किया गया है।

भगवान राम से लेकर ‘कौआ सिंह’ तक, आवेदन में भरे गए काल्पनिक विवरण

प्रशासनिक जांच के दौरान सबसे हैरान कर देने वाला आवेदन भगवान राम के नाम पर मिला, जिसमें पिता का नाम ‘दशरथ’, माता का नाम ‘कोसिलिया’ और निवास स्थान ‘अयोध्या’ लिखा गया था। इसी तरह माता सीता के लिए किए गए आवेदन में पिता ‘राजा जनक’ और पंचायत का नाम भी ‘अयोध्या’ अंकित था। सबसे हास्यास्पद स्थिति तब बनी जब ‘कौआ सिंह’ नामक व्यक्ति के लिए आवेदन आया जिसमें पिता का नाम ‘कौआ’ और मां का नाम ‘मैना देवी’ लिखा हुआ था। उस आवेदन के साथ एक कौए की तस्वीर भी संलग्न की गई थी।

प्रमाण-पत्र प्रणाली को गुमराह करने की कोशिश

करीब दर्जनभर ऐसे आवेदन सरकार के ऑनलाइन पोर्टल आरटीपीएस (RTPS) के ज़रिए किए गए, जो पूरी तरह फर्जी निकले। इन सबमें न केवल नाम काल्पनिक थे, बल्कि मोबाइल नंबर, पता और अन्य पहचान से जुड़ी जानकारियाँ भी पूरी तरह बनावटी पाई गईं। प्रशासन ने माना कि यह सब जानबूझकर किया गया, जिससे सरकारी प्रणाली की विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचे और विभाग को बदनाम किया जा सके।

आईपी एड्रेस की ट्रैकिंग शुरू, एफआईआर दर्ज

चौथम अंचल के सीओ ने इस पूरे मामले पर गंभीरता दिखाते हुए संबंधित आवेदनों को तुरंत रद्द करवा दिया और खगड़िया सहित संबंधित थानों में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। प्रशासन ने NIC दिल्ली को पत्र भेजकर इन आवेदनकर्ताओं का आईपी एड्रेस ट्रेस करने की मांग की है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये आवेदन कहां से और किसने किए। तकनीकी टीम अब इन ‘शरारती’ तत्वों की डिजिटल पहचान निकालने में जुटी है। पुलिस भी अब इस साइबर शरारत को लेकर कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

डिजिटल सिस्टम की गरिमा से खिलवाड़, गंभीर मानी जा रही घटना

यह घटना केवल एक मज़ाक नहीं बल्कि सरकारी व्यवस्था को गुमराह करने की संगीन कोशिश के रूप में देखी जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार के फर्जी आवेदन न केवल सिस्टम का दुरुपयोग हैं, बल्कि इससे ज़रूरतमंदों के लिए बनाई गई योजना पर भी असर पड़ सकता है। प्रशासन अब सभी अंचलों को अलर्ट करते हुए आवेदनों की अतिरिक्त जांच करने का निर्देश दे रहा है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोहराई न जाएं।