उज्जैन में चैत्र नवरात्रि का माहौल अत्यंत भव्य होने जा रहा है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होगी, जो खास सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रही है। इस दौरान मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित शक्तिपीठ हरसिद्धि और प्राचीन सिद्धपीठ गढ़कालिका माता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। यहां संध्या आरती के दौरान दीपमालिका प्रज्वलित करने की परंपरा का विशेष महत्व है।
दीपमालिका प्रज्वलित करने की होड़
नवरात्रि के दौरान हरसिद्धि और गढ़कालिका मंदिरों में दीपमालिका प्रज्वलित कराने की परंपरा हर भक्त की इच्छा बन गई है। देशभर के देवी भक्त मंदिरों में दीपमालिका प्रज्वलित करने के लिए उत्साहित हैं। हरसिद्धि मंदिर में इस बार 3100 रुपये में दीपमालिका की बुकिंग हो रही है, वहीं गढ़कालिका में यह बुकिंग 3300 रुपये की हो रही है। मंदिर समिति ने नवरात्रि के दौरान दीपमालिका प्रज्वलित कराने के लिए सामूहिक व्यवस्था शुरू की है। अब तक 100 से अधिक भक्तों ने इस विशेष अवसर पर दीप जलाने के लिए अपनी बुकिंग करा ली है, जबकि आम दिनों में एक व्यक्ति को दीपमालिका प्रज्वलित कराने में 12 से 14 हजार रुपये का खर्च आता है।
हरसिद्धि में मराठाकालीन दीपमालिका
शक्तिपीठ हरसिद्धि के मंदिर परिसर में मराठाकालीन दो दीप स्तंभ हैं, जिनमें प्रत्येक दीपस्तंभ में 501 दीपक होते हैं। इन्हें “दीपमालिका” कहा जाता है। यहां दीपमालिका प्रज्वलित कराने के लिए भक्तों को मंदिर कार्यालय से 700 रुपये की शासकीय रसीद कटवानी होती है। इसके अलावा दीप जलाने में शामिल कुशल व्यक्तियों को 2500 रुपये का पारिश्रमिक दिया जाता है, और चार डिब्बे शुद्ध तेल, बाती, तथा पूजा की सभी सामग्री के साथ कुल खर्च 12 से 14 हजार रुपये तक होता है।
गढ़कालिका में 21 फीट ऊंची दीपमालिका
सिद्धपीठ गढ़कालिका, महाकवि कालिदास की आराध्य देवी का प्रसिद्ध स्थल है, जहां प्रतिदिन देशभर के विभिन्न हिस्सों से भक्त आते हैं। गढ़कालिका मंदिर परिसर में दो विशाल दीप स्तंभ हैं, जिनकी ऊंचाई करीब 21 फीट है। हर एक दीपस्तंभ में 108 दीपक होते हैं, कुल मिलाकर 216 दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं। इस कार्य के लिए एक डिब्बा शुद्ध तेल की आवश्यकता होती है, और यह दृश्य भक्तों के लिए एक रोमांचक अनुभव होता है। चैत्र नवरात्रि 2025 में दीपमालिका की प्रज्वलन से उज्जैन के इन मंदिरों का वातावरण दिव्य और अद्भुत हो जाएगा, और भक्तों की आस्था का अनमोल प्रतीक बन जाएगा।