Indore News : ‘नेशनल बोन एंड जॉइंट वीक 2025’ के अवसर पर इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन, इंदौर चैप्टर ने एक व्यापक और जनहितकारी अभियान चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य न केवल हड्डी और जोड़ रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है, बल्कि समाज के वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान करना था।
इस विशेष अभियान के तहत एसोसिएशन की विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने 06 अगस्त बुधवार को इंदौर के दो प्रमुख वृद्धाश्रमों, नरोश्रित सेवा आश्रम और मानवता का आश्रय का दौरा किया। वहां रह रहे वरिष्ठ नागरिकों से आत्मीय संवाद स्थापित करते हुए उनकी हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं की गहन जांच की गई। डॉक्टरों ने बुजुर्गों को निःशुल्क चिकित्सकीय परामर्श, आवश्यक प्राथमिक उपचार और भविष्य की चिकित्सा की दिशा में मार्गदर्शन दिया।
इस अभियान के दौरान 100 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का क्षय), ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया), घुटनों व कमर में दर्द, और मांसपेशियों की कमजोरी जैसी समस्याएं प्रमुख रूप से सामने आईं।
एसोसिएशन उपाध्यक्ष डॉ अक्षय जैन और सचिव डॉ अर्जुन जैन के साथ टीम ने प्रत्येक केस को व्यक्तिगत रूप से समझते हुए बुजुर्गों को आवश्यक व्यायाम, पोषण एवं जीवनशैली संबंधी सलाह भी दी, ताकि उनका जीवन अधिक स्वतंत्र और दर्दमुक्त बन सके।इस अवसर ने ना केवल एक चिकित्सा सेवा का रूप लिया, बल्कि वृद्धाश्रमों में रह रहे बुजुर्गों को यह भरोसा भी दिलाया कि समाज उनकी भावनाओं, स्वास्थ्य और गरिमा के प्रति सजग और समर्पित है।
शहरभर में लगाए गए निशुल्क बीएमडी टेस्टिंग कैंप
इस अभियान का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू रहा आमजनों के लिए आयोजित निःशुल्क बीएमडी (Bone Mineral Density) टेस्टिंग कैंप। हड्डियों की ताकत और कैल्शियम घनत्व की जांच के लिए ये शिविर इंदौर के विभिन्न प्रमुख चिकित्सा केंद्रों पर लगाए गए। इन केंद्रों में शामिल रहे – गीता भवन अस्पताल, मेडीकेयर अस्पताल, पूर्वी अस्पताल, मेडिस्टा अस्पताल, आशादीप अस्पताल, शिवानी डायग्नोस्टिक सेंटर, इंदौर सिटी केयर क्लिनिक, और अन्नपूर्णा मंदिर के समीप विशेष शिविर स्थल।
इन शिविरों में बड़ी संख्या में नागरिकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और हड्डी रोग के जोखिम में रहने वाले लोगों ने भाग लिया। चिकित्सकों के अनुसार, समय रहते की गई यह जांच भविष्य में फ्रैक्चर, हड्डी क्षय, कैल्शियम की कमी और गठिया जैसी जटिल बीमारियों से बचाव में अहम भूमिका निभा सकती है।
चिकित्सकों की सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण
इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन, इंदौर चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. हेमंत मंडोवरा ने इस संपूर्ण अभियान को चिकित्सकों की सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी करार दिया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल बीमारियों की पहचान करना नहीं, बल्कि समय रहते लोगों को जागरूक करना है, ताकि वे अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर बेहतर जीवन जी सकें। विशेष रूप से बुजुर्गों को यह अहसास कराना ज़रूरी है कि वे उपेक्षित नहीं हैं, समाज उनके साथ है।”