Aadhaar Card Age Proof: आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- उम्र तय करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं

Aadhaar Card Age Proof: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण आधार कार्ड पर लिखी जन्म तारीख के आधार पर नहीं किया जा सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड उम्र के निर्धारण के लिए एक वैध दस्तावेज नहीं है। यह फैसला उन मामलों में महत्वपूर्ण है जहां जन्म तिथि का सही निर्धारण आवश्यक होता है, जैसे कि सरकारी सेवाओं, स्कूलों में दाखिले, और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं में। इस निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि जन्म तिथि के सही प्रमाणन के लिए अन्य आधिकारिक दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) में उल्लिखित जन्म तिथि के आधार पर किया जाना चाहिए। यह फैसला एक मृत व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने से जुड़े मामले में आया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को उम्र के निर्धारण के लिए वैध दस्तावेज नहीं माना जा सकता, और एसएलसी जैसे आधिकारिक दस्तावेजों का उपयोग करना अधिक उपयुक्त है। इस निर्णय से यह संदेश मिलता है कि जन्म तिथि के सही प्रमाणन के लिए मान्यता प्राप्त दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।

यह मामला सड़क दुर्घटना से संबंधित मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जो पहले पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई का हिस्सा था। हाई कोर्ट ने आधार कार्ड पर उल्लिखित जन्म तिथि को मान्यता देते हुए मुआवजे का आदेश दिया था।

इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने हाई कोर्ट के निर्णय को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मृतक की उम्र का निर्धारण किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) में उल्लिखित जन्म तिथि के आधार पर होना चाहिए। इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि आधार कार्ड को उम्र निर्धारण के लिए उचित दस्तावेज नहीं माना जाएगा।

यह मामला 2015 में हुई एक सड़क दुर्घटना से संबंधित है, जिसमें मृतक के परिवार ने मुआवजे की मांग की थी। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) को आधार मानते हुए 19.35 लाख रुपए के मुआवजे का आदेश दिया था।

बीमा कंपनी ने इस फैसले को चुनौती दी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) को खारिज करते हुए आधार कार्ड पर लिखी उम्र के अनुसार मुआवजे की राशि को घटाकर 9.22 लाख रुपए कर दिया। हाई कोर्ट के निर्णय को परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां सुप्रीम कोर्ट ने एमएसीटी के फैसले को बहाल करते हुए 19.35 लाख रुपए के मुआवजे का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह स्पष्ट किया कि आधार कार्ड के अनुसार मृतक की उम्र 47 वर्ष थी, जबकि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) के अनुसार उनकी उम्र 45 वर्ष थी। इस फैसले ने यह सिद्ध कर दिया कि उम्र का निर्धारण केवल आधार कार्ड पर निर्भर नहीं होना चाहिए, बल्कि स्कूल के दस्तावेजों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।