Aamir Khan: जीवन में कई बार ऐसा होता है जब हम मुश्किल दौर से गुजर रहे होते हैं, और उस समय एक सच्चा दोस्त न केवल सहारा देता है, बल्कि हमें खुद को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद करता है। ऐसी ही एक कहानी है आमिर और सलमान की, जहां दोस्ती ने न केवल एक-दूसरे का साथ दिया, बल्कि उनके नजरिए को भी बदला। यह लेख आमिर की उस यात्रा को दर्शाता है, जिसमें सलमान के साथ उनकी दोस्ती ने डिप्रेशन से जूझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें कम आलोचनात्मक बनने में मदद की।
डिप्रेशन का सामना: Aamir Khan की चुनौती
आमिर एक मेहनती और महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे, जो हमेशा अपने काम और जिम्मेदारियों में डूबे रहते थे। बाहर से देखने में उनकी जिंदगी परफेक्ट लगती थी, लेकिन अंदर ही अंदर वह डिप्रेशन से जूझ रहे थे। छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन, खुद पर शक, और दूसरों के प्रति आलोचनात्मक रवैया उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। वह अक्सर खुद को और दूसरों को जज करते, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और बिगड़ती चली गई।
इस मुश्किल वक्त में आमिर को एहसास हुआ कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो बिना किसी पूर्वाग्रह के उनकी बात सुने और समझे। यहीं पर सलमान की एंट्री हुई, जो न केवल आमिर के दोस्त बने, बल्कि उनके लिए एक मार्गदर्शक की तरह भी उभरे।
सलमान: एक सच्चा दोस्त
सलमान की खासियत थी उनकी सकारात्मक सोच और बिना शर्त दूसरों को स्वीकार करने की आदत। वह आमिर के साथ समय बिताने लगे, उनकी बातें सुनने लगे, और धीरे-धीरे आमिर को यह एहसास होने लगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हैं जो उन्हें जज नहीं करता। सलमान ने कभी आमिर के डिप्रेशन को कमजोरी नहीं माना, बल्कि उन्हें खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया।
सलमान की सलाह थी कि आमिर को खुद के प्रति और दूसरों के प्रति कम आलोचनात्मक होना चाहिए। वह कहते थे, “हर इंसान की अपनी लड़ाई होती है, और हमें उसे समझने की कोशिश करनी चाहिए, न कि उसका मूल्यांकन करना चाहिए।” इस सलाह ने आमिर के सोचने के तरीके को धीरे-धीरे बदलना शुरू किया।