आजादी के समय सत्ता के लिए राष्ट्रवादी विचार का दमन हुआ: CM Mohan Yadav

स्वतंत्र समय, भोपाल/गुना

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 57वां प्रांतीय अधिवेशन गुना में गुरुवार से प्रारंभ हुआ। इस अधिवेशन का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) ने किया। सीएम ने कहा कि परिषद के अधिवेशन में आकर बोलना रोमांच पैदा करता है और आनंद देता है। इसका एहसास अलग प्रकार का होता है। हमारे अतीत के कालक्रम पर जो बात कही है, वह एक, एक बात एकदम सही है।

CM Mohan Yadav बोले- कैंपस में परिषद नहीं तो सब फेल

मुख्यमंत्री ( CM Mohan Yadav ) ने कहा-दुनिया के कई देश अपनी शिक्षा को लेकर गौरवान्वित होते हैं कि हमारे पास सब है, लेकिन हम कहते हैं कि आपके कैंपस में विद्यार्थी परिषद नहीं है, तो सब फेल है। देश की आजादी के समय सत्ता के लालच में राष्ट्रवादी विचारधारा का दमन किया गया। इसके लिए उन्हें कभी माफ नहीं किया जाएगा। इस मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान भी मौजूद थे। बोले- उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे, विद्यार्थी परिषद के सम्मेलन का किया शुभारंभ सीएम ने कहा विद्यार्थी परिषद सिखाता है कि सच्चा देशभक्त बनना। अपने अतीत के गौरव से जुडक़र भविष्य के लिए सोचना, इसी दृष्टि से हम आगे बढ़ेंगे। सर्वे भवन्तु की सोच के साथ जीवन गुजारे, केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान के साथ हम आगे बढ़ें, इसी सोच के साथ विद्यार्थी परिषद काम करती है।

दुनिया में आज भारत का मान बढ़ रहा: CM Mohan Yadav

मुख्यमंत्री ( CM Mohan Yadav ) ने कहा- दुनिया में आज भारत का मान बढ़ रहा है। आने वाले समय में जल की उपलब्धता के आधार पर मध्यप्रदेश इस नई पीढ़ी के माध्यम से आगे बढ़ेगा। सरकार का प्रयास है कि एक-एक इंच जमीन पर सिंचाई का रकबा बढऩा चाहिए। नदी जोडऩे की कल्पना अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। मोदी जी के नेतृत्व में इस योजना का अमल शुरू हो गया है। हमारी युवा पीढ़ी केवल रोजगार मांगने वाली नहीं, बल्कि रोजगार देने वाली बननी चाहिए। इसी सोच के साथ हमारी सरकार काम कर रही है, इसलिए जगह-जगह इंडस्ट्रियल कॉनक्लेव किए हैं।

यह वीरों की धरती है

आशीष चौहान- राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने कहा कि यह बहुत सुंदर अवसर है। यह जगह चंबल और मालवा का द्वार कहा जाता है। यह टेकरी सरकार की धरती है। यह वीरों की धरती है। विद्यार्थी परिषद ने मांग उठाई कि देश का नाम भारत होना चाहिए। संविधान की चर्चा हिंदी में भी होना चाहिए। हम सभी को जोडऩे की कोई एक भाषा होनी चाहिए। अपने शैशव काल में ही विद्यार्थी परिषद ने इस पर चर्चा की।