इंदौर में बढ़ती अवैध कॉलोनियों के खिलाफ एक नई योजना सामने आई है। इस पर रोक लगाने के लिए एसीएस संजय दुबे ने नगर निगम को एक प्रभावी योजना दी है। जाने उनके जोरदार आईडिया में उन्होने अवैध कॉलोनाइजरों को उनके ही जाल में फंसाने का प्रबंध बताया है। क्योकि जब अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई होती है तो सबूत के अभाव में वह बच निकलते है।
अवैध कॉलोनियों के खिलाफ नहीं चली मूहिम
इंदौर में लगातार बढ़ रही अवैध कॉलोनियों से शासन प्रशासन और नगर निगम सभी परेशान है। इसके लिए इंदौर कलेक्टर ने तो मुहिम चलाकर कॉलोनियों को चिन्हित कराया था। यहीं 70 से ज्यादा एफआईआर भी करवाई थी। वहीं फिलहाल शहरी सीमा में इस मामलें में कोई बड़ी मुहिम नहीं चली है। इसे लेकर अब इंदौर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अध्यक्षता में एक बड़ी बैठक हुई। इसमें नगरीय प्रशासन विभाग के एसीएस ने जोरदार आईडिया दिया है।
बनाओं कॉलोनाइजर के खिलाफ सबूत
इंदौर में पांच साल संभागायुक्त रहे चुके संजय दुबे यहां की हर जानकारी से वाकिफ है उन्होने पहले तो दो टुक शब्दो में कहा कि यह एक स्थानीय अधिकारियों की मिली भगत के बिना संभव ही नही है। मंत्री विजयवर्गीय ने भी कहा कि सही कहा चोरी-छिपे अवैध कॉलोनियां विकसितहो जाएं यह संभव नही है।
निगमायुक्त को दिया आईडिया
यहां संजय दुबे ने निगमायुक्त दिलीप यादव और निगम के अधिकारियों को एक आईडिया दिया है। उन्होने कहा कि जहां बोर्ड लगाकर अवैध कॉलोनियों के प्लॉट बिक्री की जानकारी मिल रही है या अन्य तरह से जानकारी मिल रही है वहां पर निगमकर्मियों को ग्राहक बना कर भेजो और सौदा करों। सौदा होते ही सभी सबूत होंगे। फिर संबंधितो पर एफआईआर कराओं साथ ही जिस अधिकारी के क्षेत्र में इसकी जिम्मेदारी थी उस पर कार्रवाई करों
अवैध कॉलोनियों पर चलाओं बुलडोजर
इसके साथ ही अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलाओं और रिमूवल करों लेकिन देखना यह है कि फिर कोई फोन नहीं आएगा। कि कार्रवाई रोक दो। इस पर महापौर ने कहा कि मेरे पास पार्षदों के एक हजार पत्र है जिसमें वह खुद कार्रवाई की मांग करते है।
इंदौर के लिए नासूर बन गई अवैध कॉलोनियां
इंदौर के लिए अवैध कॉलोनियां नासूर बन चुकी है। लेकिन अब सरकार इस मामलें में सख्ती कर रही है। साफ है कि इन्हें विकसित नहीं होने देना है। लेकिन जो एसीएस ने चिंता जाहिर की है वह जगजाहिर है। स्थानिय नेताओं के संरक्षण में भी यह कॉलोनियां जमकर कट रही है। बिल्डर जमीन लेकर प्लॉटिंग काटकर सस्ती दरों में प्लॉट काटकर निकल जाता है। इसमें ना डायवर्सन विकास मंजूर या अन्य कोई मंजूरी ली जाती है। ना ही मूलभूत सुविधाएं, पेयजल सीवरेज जैसे काम कराए जाते है। ऐसे में यह पूरा बोझ आने वाले समय में नगर निगम पर पड़ता है।
ग्रामीण इलाकों में डायरियों पर सौंदे
इंदौर ग्रामीण क्षेत्रो में डायरियों पर सौदे और बिना रेरा के ही सौंदे रोकने और अवैध कॉलोनियों के जाल में लोगों को फंसने से रोकने के लिए कलेक्टर रहते हुए आशीष सिंह ने भी मुहिम चलाई थी। इसमें एसडीएम तहसीलदार सभी मैदान में उतरे थे और चौराहों पर उतर कर इसके लिए शिविर लगाए थे तंबू लगाकर प्लॉट के सौदे करने वालों पर भी कार्रवाई की गई थी।
कॉलोनियों में जाकर सभी दस्तावेज भी चेक किए गए थे।
इसमें कई कॉलोनियों में काम रोका गया और कार्रवाई हुई थी। अपर कलेक्टर गौरव बैनल ने 100 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों के केस रजिस्टर्ड किए और 70 से ज्यादा में एफआईआर भी करवाई थी। इस समया कॉलोनाइजरों के दस्तावेज भी चेक किए थे।