शनिवार दिनांक 31-05-2025 से रविवार 01-06-2025 तक MG रोड गुड़गांव में आयोजित किए गए दो दिवसीय आदिकिसान द्वितीय वार्षिक अधिवेशन में शामिल सभी उपस्थित गणमान्योंं ने आदिकिसान विचारधारा की मजबूती के लिए प्रमुख मुद्दे रखे जिनमें रणवीर किन्नौड़ जी ने “ग्रामीण सभ्यताओं के शहरी सभ्यताओं में सांस्कृतिक ट्रांसफोर्मेशन” पर विस्तार से चर्चा की कि शहरीकरण में कैसे गाँवों की संस्कृति को ख़त्म करके बाहरी संस्कृति थोप दी जाती है जिसको अपनाने में गाँवों का सब कुछ लुट जाता है जो कि पहले कम संसाधनों के होते हुए भी आबाद थे आपसी भाईचारा और सामूहिकता कायम थी।
सेशन को आगे बढा़ते हुए सुमीत निगोत्रे ने “मेनूफेक्चरिंग ट्रेड” पर विस्तार से जानकारी सांझा की कि आदिवासी,किसान- कामगार कबीलें आपस में कैसे जुड़ सकते हैं। आगे मुकेश मावलिया जी ने वर्तमान में आदिकिसान के सामने चुनौतियों पर विस्तार से जानकारी दी कि सबसे पहले तो कैसे आदिकिसान संघ को राजनीतिक मजबूती प्रदान की जा सकती है।
सेशन को आगे जारी रखते हुए राजेंद्र कुलेरिया ने “फेक हिस्ट्री और नेरेटिव्स” पर लंबी चर्चा मे बताया कि कैसे समाज में पौराणिक कहानियों को आधार बनाकर शरणार्थियों को मूलवासी लिखा गया और मूलवासी को शरणार्थी! अगली अध्यक्षता में कमल अहीर ने “न्यू वर्ल्ड आर्डर” पर विस्तार से बताया कि किस तरह से सभी मुल्कों के सिस्टम को एक ही पाॅवर के द्वारा हाईजैक किया जाता है। आगे प्रशांत का विषय था कि आदिकिसान के दूसरे समुदायों के साथ परस्पर संबंध कैसे मजबूत हो और आपसी सहयोग पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया ? अगले वक्ता हितेश धीरतवाड़ जी ने “आदिकिसान के बुनियादी ढाँचे की मजबूती पर चर्चा की इसके बाद सत्यवान सांगवान ने “सिस्टम के विभिन्न षडयंत्र” के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
आगे अरुण राठौर और अमृत आनंद ने आदि किसान संगठन की गतिविधियों बढ़ाने पर जोर दिया ओर कहा कि आदि किसान इस साल अपना प्रकाशन लॉन्च करने जा रहा है।रोहित गुलिया ने आदि किसान ट्रेड एंड मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विस्तार करने की अपील की ओर ज्यादा से ज्यादा साथियों को जोड़ने की प्रतिबद्धता दिखाई। अगले वक्ता तेजपाल अहीर जी ने गुडगांव में अधिवेशन के लिए स्थान की सुविधा मुहैया करवाई साथ ही अरुण राठौर और तेजपाल ने देश में आत्मनिर्भरता लाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का डेवलेपमेंट इकाई लेवल पर करने की बात रखी ओर पैसे का विकेंद्रीकरण हो।
देवकुमार पंवार ने बताया कि किसान जो पैदा करता है उसकी कीमत इतनी कम है कि वो सरवाइव नहीं कर सकता लेकिन तमाम उद्योगों के सामनों की कीमत की रियल कॉस्ट निकालने का कोई मैकेनिज्म ही नहीं है जैसे पेट्रोल की कॉस्ट एक पैसा लीटर तक आ जाती है लेकिन कॉरपोरेट समुहों को फायदा पहुंचाने के लिए उसकी कीमत सौ रूपी लीटर तक कर दिया जाता है साथ ही टैक्स टेरेरिज्म से भी देश को मुक्ति दिलानी पड़ेगी,छोटी पूंजी का आदमी व्यापार में ज्यादा दिन बना नहीं रह सकता क्योंकि हर चीज पर इतना टैक्स है ओर निवेश की हुई पूंजी से बचत निकालना संभव ही नहीं हो पाता,साथ ही देवकुमार पंवार ने कहा कि उद्योग ओर कृषि दोनों की कॉस्ट निकालने का एक जनरलाइज फॉर्म्युला होना चाहिए जिससे कि एक की कीमत पर दूसरा ना फलता फूलता रहे वही पवन बालियान जी ने कहा आज छोटा किसान बुरी तरह संकटग्रस्त है ,कृषि से जुड़े औजार इतने महंगे है कि छोटा किसान सरवाइव नहीं कर पा रहा है।
साथ ही अनिल आर्य ने खाद बीज बिजली इन सबका भुगतान करके ओर बहुत कम msp पर किसान सर्वाइव करने की हालत में ही नहीं रहा सरकार को भी औद्योगिक सामान की कीमत का मैकेनिज्म ऐसा बनाना पड़ेगा जो एक्चुअल कॉस्ट के आसपास हो। आगे सेशन को आगे बढ़ाते हुए पीयूष अहीर ने चर्चा की कि आदिकिसान का सांगठनिक प्रारूप कैसा हो और इसकी मजबूती कैसे हो? इसके बाद प्रो.मुकेश मीणा ने आदिकिसान की 10 साल की उपलब्धियां बताई ओर कहा आज हमारे सभी साथियों की दिन रात की मेहनत का नतीजा हैं कि एक समय नामुमकिन सा लगने वाला काम हम कर पा रहे है।
आज विभिन्न कबीलो में एक दूसरे के प्रति जो भाईचारा ओर समझ बढ़ी है साथ ही आदि वासी ओर किसान कामगार एक ही जाजम पर बैठे है उसके पीछे आदि किसान साथियों का किया गया समर्पण है जो सुनहरे भविष्य की और अग्रसर है। अंत में देवकुमार पंवार ने कहा कि हमे आदि किसान के कॉन्सेप्ट को हर जगह लागू करना है सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक दर्शन तैयार करना है ताकि आगे आने वाली पीढ़ी इस घोर अंधकारमय समय में उद्देश्य हीन होकर भटकती ना रह जाए। अधिवेशन के समापन प्रो. मीणा जी,देवकुमार पंवार और उषा नैन ने सभी का धन्यवाद किया!
उषा नैन वाइस प्रेसीडेंट आदिकिसान रिसर्चर संघ