स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा लागू किए गए 27 प्रतिशत ओबीसी ( OBC ) आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस मुद्दे पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इससे पहले रविवार को पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ओबीसी महासभा की राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य धर्मेन्द्र कुशवाहा और सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण ठाकुर के साथ कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
कमलनाथ सरकार ने OBC आरक्षण 27 फीसदी किया था: जीतू
पटवारी ने कहा- हमारे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की 15 महीने की सरकार में हमने ओबीसी ( OBC ) आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था। मार्च 2019 में 27 प्रतिशत आरक्षण के लिए अध्यादेश लेकर आए। फिर भाजपा, आरएसएस और भाजपा समर्थित आरक्षण विरोधी लोगों ने इसको रोकने के लिए एक एमबीबीएस की छात्रा (जो पीजी कर रही थी) से कोर्ट में पिटीशन लगवाई और अध्यादेश पर रोक लगवा दी। कमलनाथ सरकार ही दो महीने बाद कानून लेकर आई कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत होना चाहिए। यानि कांग्रेस पार्टी ने सरकार में रहते हुए विधायिका से 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कराया, लेकिन जब कार्यपालिका को उस कानून का पालन कराना था उसी दौरान हमारी सरकार चली गई। उसके बाद ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के सारे विरोधी एकजुट हो गए।
कोर्ट का बहाना बनाकर धोखा दे रही भाजपा सरकार
पटवारी ने कहा-प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बजाय सरकार लगातार उन्हें धोखा दे रही है। भाजपा सरकार ने कोर्ट का बहाना बनाकर इस कानून पर अमल नहीं किया। पटवारी ने कहा कि भाजपा सरकार ने कुछ नौकरियों में तो 27 प्रतिशत आरक्षण दिया, लेकिन कई भर्ती प्रक्रियाओं में फिर से 14 प्रतिशत ही लागू किया। यानि जब चुनाव आता है, तब भाजपा सरकार आरक्षण लागू कर देती है और बाद में उसे रोक देती है। यह सिर्फ दिखावा है।