उत्तर प्रदेश में साल 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं। इस बीच कांग्रेस ने संकेत दे दिए हैं कि वह समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी और पूरे चुनावी मैदान में अकेले उतरने की रणनीति अपना रही है। महाराष्ट्र में भी पार्टी इसी फार्मूले पर काम कर रही है, जबकि बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के साथ गठबंधन कर मिली करारी हार ने कांग्रेस को अपनी रणनीति नए सिरे से तैयार करने पर मजबूर कर दिया है।
दिल्ली में हुई अहम बैठक, निकली नई दिशा
बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में नई योजनाओं के साथ आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है। इसी क्रम में दिल्ली स्थित सोनिया गांधी के आवास पर बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें यूपी प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश नेतृत्व के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल रहे। बैठक में तय किया गया कि पंचायत चुनाव में पार्टी स्वतंत्र रूप से मुकाबला करेगी और संगठन विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
कांग्रेस की बदली रणनीति, सियासत में बढ़ी हलचल
कांग्रेस द्वारा पंचायत चुनाव में अकेले उतरने के फैसले से राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है। इसे 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। यूपी उपचुनाव और बिहार चुनाव के नतीजों के बाद अब कांग्रेस खुद को नए ढांचे में ढालने की कोशिश कर रही है, ताकि जनाधार को स्थिर और मजबूत किया जा सके।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने किया स्पष्ट ऐलान
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने साफ कहा कि पार्टी आगामी पंचायत चुनाव में अकेले ही उतरने जा रही है और सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले से समाजवादी पार्टी के साथ रिश्तों पर किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में दोनों दलों को सफलता मिली थी, पर अब संकेत मिल रहे हैं कि दोनों पार्टियों के बीच दूरी बढ़ रही है।
बिहार की शिकस्त से मिली सीख
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सीट बंटवारे से लेकर उम्मीदवार चयन तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। आंतरिक असंतोष के कारण चुनाव प्रचार भी प्रभावित हुआ और नतीजों में पार्टी को सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली। कुल 61 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी यह प्रदर्शन काफी कमजोर रहा। गठबंधन की वजह से आरजेडी को भी नुकसान हुआ और अंततः एनडीए की सरकार कायम रही।
अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अकेले मैदान में उतरकर अपना जनाधार मजबूत करने के प्रयास में है। पार्टी का मानना है कि यदि पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन होता है, तो इसका सीधा लाभ 2027 के विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।