मुबंई में जैन मंदिर तोड़े जाने के बाद उज्जैन में जैन समाज ने दिखाया आक्रोश

उज्जैन : मुंबई में पार्श्वनाथ दिंगबर जैन मंदिर को तोड़े जाने के बाद उज्जैन में भी जैन समाज में आक्रोश है। जैन साधु संतों ने मंदिरों पर हमलों की कड़ी निंदा की है। पूरे भारत में जैन समाज के साधु संतों और मंदिरों पर हो रही घटनाओं को लेकर उज्जैन के जैन समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है। जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि अहिंसक होने के बावजूद जैन समुदाय अत्याचार सह रहा है। संख्या बल में कम होने और देश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले होने के बावजूद, सरकार का रवैया हमारे प्रति संतोषजनक नहीं है।

हाल ही में मध्यप्रदेश में जैन साधुओं के साथ मारपीट की घटना और उससे पहले गिरनार मंदिर पर प्रतिकूल रवैये का उल्लेख करते हुए समाज के लोगों ने नाराजगी व्यक्त की। गौरतलब है कि न्यायालय का फैसला उनके पक्ष में होने के बावजूद भी शासन मंदिर पर कब्जा हटाने में सहयोग नहीं कर रहा है, साथ ही शहरों में उनकी संपत्तियों पर कब्जे हो रहे हैं।

उज्जैन में जैन समाज ने किया विरोध प्रदर्शन 

वर्तमान में मुंबई में एक प्राचीन जैन मंदिर को अवैधानिक तरीके से तोड़ने के प्रयास की घटना ने समाज को और अधिक आंदोलित कर दिया है। समाज ने इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बीएमसी अधिकारी द्वारा कोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना, मात्र दस मिनट का नोटिस देकर मंदिर को तोड़ना अत्यंत खेदजनक है। किसी भी धार्मिक आस्था पर इस प्रकार का कुठाराघात बहुत निंदनीय है।

जैन समाज ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पचास साल पुराने मंदिर, जो उनकी आस्था का केंद्र था। उसे बुलडोजर और जेसीबी से ध्वस्त कर दिया गया और उनकी प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हुईं। इस घटना से पूरे देश का जैन समाज द्रवित और आक्रोशित है। वहीं उज्जैन में जैन समाज ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे अहिंसक जरूर हैं, लेकिन कायर नहीं। वे महावीर की संतानें हैं और यदि आवश्यकता पड़ी तो शासन-प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरने से नहीं हिचकेंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनके साथ इस प्रकार के निंदनीय कृत्य नहीं रुके तो जनसैलाब सड़कों पर उतरेगा।