मध्य प्रदेश में एक और घोटाला सामने आया है, और इस बार मामला जबलपुर नगर निगम से जुड़ा हुआ है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने कचरा परिवहन के नाम पर हुए गबन के मामले में FIR दर्ज की है। यह घोटाला पहले के चम्मच और डामर घोटालों के बाद अब एक और उदाहरण बनकर सामने आया है।
इस मामले में नगर निगम के दो पूर्व अधिकारी, विनोद श्रीवास्तव (स्वास्थ्य अधिकारी) और अनिल जैन (सहायक स्वास्थ्य अधिकारी), साथ ही सफाई कामगार सहकारी समिति के अध्यक्ष हेमंत करसा को आरोपी बनाया गया है। अन्य दो कर्मचारी भी इसमें शामिल हैं।
क्या हैं पूरा मामला
जांच में यह सामने आया कि नगर निगम के वार्ड नंबर 8 में कचरा परिवहन के लिए बिल प्रस्तुत किया गया था, जिसकी राशि 14 लाख 70 हजार से अधिक थी। हालांकि, सत्यापन के बाद वास्तविक भुगतान 6 लाख 4 हजार 495 की अनुशंसा की गई थी। लेकिन आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर नगर निगम से 13 लाख 17 हजार का भुगतान करवा लिया, जिससे नगर निगम को 8 लाख 20 हजार का नुकसान हुआ।
EOW की जांच में यह पाया गया कि फर्जी नोटशीट पर नगर निगम के अधिकारी के.के. दुबे के हस्ताक्षर भी कूटरचित थे। इसके बाद भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
EOW की जांच अभी भी जारी है, और इस मामले में और अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120बी सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। EOW जल्दी ही आरोपियों से पूछताछ कर सकती है और उनकी संपत्तियों की जांच भी की जाएगी।